Ranchi Politics: रघुवर सरकार के 5 पूर्व मंत्रियों को राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका!
रघुवर दास सरकार के पांच पूर्व मंत्रियों पर आय से अधिक संपत्ति का मामला, झारखंड हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की। क्या इससे बंद हो जाएगी जांच या अभी भी बची है कार्रवाई की गुंजाइश? पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब रघुवर दास सरकार के पांच पूर्व मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इस फैसले से जहां पांचों पूर्व मंत्रियों को राहत मिली है, वहीं इस मामले पर कई नए सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या था पूरा मामला?
2020 में सामाजिक कार्यकर्ता पंकज यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों—अमर बाउरी, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा, लुइस मरांडी और रणधीर सिंह—पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाया था।
- पंकज यादव ने आरोप लगाया था कि इन पूर्व मंत्रियों ने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार कर अकूत संपत्ति बनाई।
- उन्होंने मांग की थी कि इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से कराई जाए।
- 2023 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने जांच की स्वीकृति दे दी थी, जिसके बाद ACB ने कार्रवाई शुरू की।
- ACB की जांच में इन पूर्व मंत्रियों के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाया गया था।
- इसके बाद ACB ने इन नेताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच (PE) दर्ज की और नोटिस भी जारी किए।
हाईकोर्ट का फैसला क्यों अहम?
सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
- इस फैसले से पूर्व मंत्रियों को राहत जरूर मिली है, लेकिन क्या इससे जांच खत्म हो जाएगी?
- या फिर ACB इस मामले में आगे भी कार्रवाई जारी रखेगा?
- क्या झारखंड सरकार इस फैसले के खिलाफ कोई कदम उठाएगी?
झारखंड में आय से अधिक संपत्ति के मामलों का इतिहास
झारखंड में राजनेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले कोई नई बात नहीं हैं।
- 2019 में झारखंड के कई पूर्व मंत्रियों और अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति के मामले दर्ज हुए थे।
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), बीजेपी और कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं।
- ACB ने पिछले कुछ वर्षों में कई मामलों की जांच की है, लेकिन बहुत कम नेताओं पर सख्त कार्रवाई हुई है।
क्या इस फैसले से पूर्व मंत्रियों का बचाव हो गया?
हाईकोर्ट का यह फैसला केवल जनहित याचिका को खारिज करने तक सीमित है, लेकिन इससे यह साफ नहीं होता कि ACB की जांच पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
- अगर ACB के पास पर्याप्त सबूत हैं, तो वह अपनी जांच जारी रख सकता है।
- अगर राज्य सरकार चाहे तो इस मामले में दोबारा जांच का आदेश भी दे सकती है।
- अगर किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को ठोस सबूत मिलते हैं, तो इस मामले को दोबारा कोर्ट में लाया जा सकता है।
लुईस मरांडी की राजनीतिक स्थिति पर क्या असर?
लुईस मरांडी फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की विधायक हैं।
- अगर यह मामला आगे बढ़ता है, तो उनकी राजनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।
- अगर जांच दोबारा खुलती है, तो JMM को इस मुद्दे पर सफाई देनी पड़ सकती है।
अब आगे क्या?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह मामला पूरी तरह खत्म हो गया है, या फिर इसमें कोई नया मोड़ आएगा?
- क्या झारखंड सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी?
- क्या ACB की जांच जारी रहेगी?
- क्या विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर दबाव बनाएगा?
झारखंड की राजनीति में इस फैसले के कई असर हो सकते हैं, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ सकता है।
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