Adityapur Storm Alert: तेज आंधी में गिरा मोबाइल टावर, बाल-बाल बची कई जिंदगियां!
आदित्यपुर में आए तेज आंधी-तूफान के कारण एक मोबाइल टावर घर पर गिर गया, जिससे बालकनी और रेलिंग क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। जानिए पूरी खबर।

सोमवार की शाम आदित्यपुर में अचानक तेज आंधी-तूफान ने तबाही मचा दी। कई पेड़ धराशायी हो गए, बिजली के खंभे हिल गए, और सबसे बड़ा हादसा इच्छापुर इलाके में हुआ, जहां एक मोबाइल टावर टूटकर एक घर पर गिर गया। इस हादसे में मकान को भारी नुकसान हुआ, लेकिन गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई।
कैसे हुआ हादसा?
मिली जानकारी के अनुसार, शाम करीब 5:30 बजे तेज आंधी ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। इस दौरान इच्छापुर के ग्वालापाड़ा निवासी सेवानिवृत्त टाटा स्टील कर्मी बीएन प्रसाद के घर के सामने लगा मोबाइल टावर अचानक तेज हवा के झटकों से टूटकर घर के ऊपर गिर गया। टावर के गिरने से घर की रेलिंग और बालकनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
सबसे राहत की बात यह रही कि घटना के समय बालकनी में कोई मौजूद नहीं था। वरना बड़ा हादसा हो सकता था। बीएन प्रसाद ने बताया कि उन्होंने तूफान से पहले ही अपनी कार गैरेज में रख दी थी, अन्यथा कार भी पूरी तरह बर्बाद हो जाती।
इतिहास गवाह है, आंधी-तूफान ने पहले भी मचाई है तबाही!
भारत में आंधी-तूफान कोई नई घटना नहीं है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जब तेज आंधी ने इंसानी जिंदगियों और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया।
- 1977 का आंध्र प्रदेश चक्रवात: इस चक्रवात में करीब 10,000 लोगों की जान चली गई थी।
- 1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन: यह भारत के इतिहास का सबसे खतरनाक तूफान था, जिसमें करीब 15,000 लोगों की मौत हुई थी।
- 2020 का अम्फान तूफान: इस तूफान से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अरबों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी।
आदित्यपुर में आया यह आंधी-तूफान भले ही इन बड़ी घटनाओं जितना खतरनाक न रहा हो, लेकिन इसने लोगों को यह जरूर याद दिला दिया कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने हम कितने असहाय हो सकते हैं।
मोबाइल टावर आखिर गिरा कैसे?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मोबाइल टावर एक खाली प्लॉट में लगाया गया था। लेकिन यह टावर कितनी मजबूती से स्थापित किया गया था, यह सवाल खड़ा करता है।
- क्या यह टावर सही सुरक्षा मानकों के अनुसार लगाया गया था?
- क्या टावर की स्थिति की नियमित जांच की जाती थी?
- क्या तेज हवाओं के लिए इसे सुरक्षित किया गया था?
अगर इन सवालों का जवाब "नहीं" है, तो यह साफ दर्शाता है कि हादसे की वजह लापरवाही भी हो सकती है।
बाल-बाल बची कई जिंदगियां!
बीएन प्रसाद का परिवार इस हादसे से सदमे में है। अगर हादसे के वक्त कोई बालकनी में मौजूद होता, तो परिणाम बेहद भयानक हो सकते थे। इस घटना से यह भी साबित होता है कि आंधी-तूफान के दौरान सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
ऐसे रखें खुद को सुरक्षित:
- तूफान से पहले खुले इलाकों में जाने से बचें।
- घर के आसपास लगे कमजोर पेड़ या टावर से दूरी बनाएं।
- वाहनों को सुरक्षित स्थान पर पार्क करें।
- बिजली के खंभों और खुले तारों से दूर रहें।
- समाचार और मौसम विभाग की जानकारी पर नजर रखें।
प्रशासन को उठाने होंगे ठोस कदम!
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मजबूत टावर निर्माण और सुरक्षा मानकों की जांच की मांग की है। अगर समय रहते ऐसे ढीले-ढाले ढांचे को दुरुस्त नहीं किया गया, तो अगली बार हादसा और भी बड़ा हो सकता है।
आदित्यपुर में हुआ यह हादसा चेतावनी है कि हमें आंधी-तूफान जैसी आपदाओं के प्रति सतर्क रहना होगा। प्रशासन को भी चाहिए कि टावर और बड़े ढांचों की समय-समय पर जांच करे ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। वरना अगली बार यह हादसा सिर्फ संपत्ति का नहीं, बल्कि जिंदगियों का नुकसान भी कर सकता है!
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