Palamu Tragedy: अदृश्य कातिल, बोरसी के धुएं ने छीनी नानी-नातिन की सांसें, पलामू में पसरा मातम
पलामू के हुसैनाबाद में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए जलायी गई बोरसी काल बन गई है जहाँ बंद कमरे में दम घुटने से नानी और नातिन की दर्दनाक मौत हो गई। बीएसएफ जवान की पत्नी की हालत बेहद नाजुक है और पूरा गांव इस अदृश्य खतरे से सन्न है। सर्दी के मौसम में बंद कमरे के भीतर छिपे इस जानलेवा धुएं की पूरी हकीकत यहाँ दी गई है।
पलामू/हुसैनाबाद, 19 दिसंबर 2025 – झारखंड के पलामू जिले से एक ऐसी विचलित कर देने वाली खबर सामने आई है जिसने ठंड के मौसम में सावधानी की अहमियत को एक बार फिर रेखांकित कर दिया है। हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के फुलडीहा गांव में शुक्रवार की सुबह खुशियों वाला घर मातम में बदल गया। कड़ाके की ठंड से बचने के लिए कमरे में जलाकर रखी गई बोरसी (अंगीठी) के धुएं ने सोते समय तीन जिंदगियों को अपनी चपेट में ले लिया। इस दुखद हादसे में 70 वर्षीय नानी और उनकी 15 वर्षीय नातिन की दम घुटने से मौत हो गई, जबकि घर की महिला की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।
इतिहास: झारखंड की सर्दियों में 'बोरसी' का रिवाज और जानलेवा खतरा
झारखंड के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में सदियों से मिट्टी के पात्र या तसले में कोयला और लकड़ी जलाकर 'बोरसी' बनाने की परंपरा रही है। कड़ाके की ठंड में यह बोरसी ही गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए कुदरती 'हीटर' का काम करती है। लेकिन इतिहास गवाह है कि यह परंपरा कई बार जानलेवा साबित हुई है। बंद कमरों में वेंटिलेशन न होने के कारण कोयले के जलने से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड एक 'साइलेंट किलर' बन जाती है। पलामू की यह घटना ग्रामीण भारत की उसी कड़वी सच्चाई को बयां करती है जहाँ जानकारी के अभाव में एक छोटी सी लापरवाही पूरे परिवार को लील जाती है।
नींद में ही थम गईं सांसें: नानी-नातिन की दर्दनाक मौत
हादसे का शिकार हुआ परिवार फुलडीहा गांव का रहने वाला है। मृतका सुनहरा उर्फ मुरैना देवी (70 वर्ष) अपनी बेटी किरण देवी के घर आई हुई थीं। कड़ाके की ठंड को देखते हुए बुधवार की रात नानी, बेटी और नातिन माया कुमारी (15 वर्ष) ने कमरे में बोरसी जलाई और ठंड के डर से कमरा चारों तरफ से बंद करके सो गईं।
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जहरीला धुआं: रात भर कमरा बंद रहने की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो गई और जहरीला धुआं पूरे कमरे में भर गया।
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बेसुध मिले परिजन: सुबह जब काफी देर तक कमरा नहीं खुला, तो परिजनों और ग्रामीणों ने अनहोनी की आशंका में दरवाजा तोड़ा। अंदर का नजारा देखकर सबकी रूह कांप गई—तीनों बिस्तर पर बेसुध पड़े थे और कमरे में धुएं की गंध भरी थी।
सीमा पर मुस्तैद जवान का परिवार उजड़ा
ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए तीनों को तुरंत हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल पहुँचाया। जहाँ डॉक्टर पीएन सिंह ने नानी सुनहरा देवी और नातिन माया कुमारी को मृत घोषित कर दिया। वहीं, किरण देवी का प्राथमिक उपचार कर उन्हें बेहतर इलाज के लिए मेदिनीनगर रेफर कर दिया गया है। हृदयविदारक पहलू यह है कि किरण देवी के पति सीमा सुरक्षा बल (BSF) में तैनात हैं और देश की सीमा पर मुस्तैद हैं, जबकि पीछे उनका अपना परिवार इस भीषण और अनचाही त्रासदी का शिकार हो गया।
हादसे का संक्षिप्त ब्योरा
| पीड़ित का नाम | आयु | वर्तमान स्थिति |
| सुनहरा उर्फ मुरैना देवी | 70 वर्ष | मृत (नानी) |
| माया कुमारी | 15 वर्ष | मृत (नातिन) |
| किरण देवी | 40 वर्ष | गंभीर स्थिति (रेफर) |
| हादसे का कारण | दम घुटना | बंद कमरे में बोरसी का धुआं |
पुलिस की जांच और चिकित्सा चेतावनी
हुसैनाबाद थाना प्रभारी सोनू कुमार चौधरी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला पूरी तरह से दम घुटने का ही प्रतीत होता है। पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। गांव के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अस्पताल परिसर में ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा है और पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है।
सावधानी ही बचाव है:
चिकित्सकों ने एक बार फिर कड़ी चेतावनी जारी की है कि सर्दियों में कमरे के भीतर कोयला, लकड़ी या गोइठा जलाकर कभी न सोएं। अगर बोरसी जलानी ही है, तो सोने से पहले उसे कमरे से बाहर निकाल दें या कम से कम एक खिड़की को पूरी तरह खुला रखें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस कमरे में जमा न हो पाए।
एक अदृश्य दुश्मन की जीत
पलामू की यह घटना केवल एक परिवार की क्षति नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। कड़ाके की ठंड में थोड़ी सी गर्माहट पाने की चाहत कब मौत का पैगाम बन जाए, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। प्रशासन अब गांव-गांव जाकर इस 'अदृश्य कातिल' के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करने की योजना बना रहा है ताकि दोबारा किसी का घर इस तरह न उजड़े।
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