मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर लगाई मुहर: जानें क्या बदल सकता है?
मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानें इस प्रस्ताव के प्रभाव, भविष्य की योजनाओं और चुनावी प्रक्रिया में क्या बदलाव आ सकते हैं।
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2024: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। यह घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को की। इस प्रस्ताव का उद्देश्य देश भर में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का है।
पिछले मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंप दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने से चुनावी खर्च और प्रशासनिक बोझ कम होगा। रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का वादा किया था। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपनी स्पीच में भी उन्होंने इस प्रस्ताव की वकालत की थी। उनका कहना था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा डालते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे। इसके बाद, सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। इस प्रक्रिया में कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, खासकर जिन राज्यों में 2023 में चुनाव हुए हैं।
वर्तमान में, भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे। इसके लिए विधि आयोग को एक और प्रस्ताव भेजा जाएगा, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल हो सकते हैं।
इस प्रस्ताव से चुनावी प्रक्रिया को संरेखित करने के साथ-साथ प्रशासनिक और वित्तीय दक्षता बढ़ाने की उम्मीद है।
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