Jamshedpur: NCLT Kolkata Bench का बड़ा फैसला, मजदूरों के लिए खारिज हुआ दावा!

एनसीएलटी कोलकाता के आदेश ने इंकैब जमशेदपुर के मजदूरों के दावों को खारिज किया, जानें क्या होगा आगे और भगवती सिंह की अपील का क्या होगा परिणाम।

Jan 9, 2025 - 19:33
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Jamshedpur: NCLT Kolkata Bench का बड़ा फैसला, मजदूरों के लिए खारिज हुआ दावा!
Jamshedpur: NCLT Kolkata Bench का बड़ा फैसला, मजदूरों के लिए खारिज हुआ दावा!

जमशेदपुर में 8 जनवरी 2025 को एनसीएलटी कोलकाता बेंच का फैसला मजदूरों के लिए एक बड़ा झटका बनकर सामने आया है। इंकैब जमशेदपुर के मजदूरों के प्रतिनिधि भगवती सिंह द्वारा दायर खारिज आवेदन को NCLT ने बिना किसी स्पष्ट कारण के खारिज कर दिया। साथ ही, जमशेदपुर के मजदूरों की लेनदारी भी खारिज कर दी गई, जबकि कोलकाता के मजदूरों के दावे को स्वीकार कर रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को सत्यापन के लिए आदेश दिए गए।

क्या है यह मामला?

यह मामला इंकैब जमशेदपुर के परिसमापन से जुड़ा हुआ है, जो पहले कोलकाता एनसीएलटी द्वारा 7 फरवरी 2020 को पारित किया गया था। भगवती सिंह ने इस आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी, दिल्ली में अपील दायर की थी। इस अपील में एनसीएलएटी ने परिसमापन आदेश को रद्द कर दिया था और रिजोल्यूशन प्रक्रिया को अवैध करार दिया था। इसके बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद, एनसीएलटी ने पंकज टिबरेवाल को नया रिजोल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया और उन्हें सभी लेनदारों की लेनदारी को सत्यापित करने का निर्देश दिया। हालांकि, नए रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने पुरानी लेनदारों की कमिटी को बरकरार रखा और वेदांता के रिजोल्यूशन प्लान को अनुमोदित कर दिया।

क्यों विवादित है यह आदेश?

एनसीएलटी, कोलकाता की न्यायिक सदस्य बिदीसा बनर्जी की बेंच ने रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को कमला मिल्स, पेगाशस एसेट रिकंस्ट्रक्शन और ट्रॉपिकल वेंचर के दावों को फिर से सत्यापित करने का आदेश दिया। हालांकि, उन्होंने पुरानी लेनदारों की अवैध समिति को अवैध घोषित नहीं किया और कुछ मामूली बदलावों के साथ, उनके द्वारा लिए गए कई फैसलों को मान्यता दे दी। इसमें वेदांता का फर्जी रिजोल्यूशन प्लान भी शामिल था, जिसे एनसीएलटी ने संशोधित करने को कहा था।

क्या था बैंक का बकाया?

भगवती सिंह के अधिवक्ता ने एनसीएलटी को यह बताया कि उच्च न्यायालय, दिल्ली के 6 जनवरी 2016 के आदेश के अनुसार और सुप्रीम कोर्ट के 1 जुलाई 2017 के आदेश से यह साफ हो गया था कि इंकैब पर बैंकों का केवल 21.63 करोड़ रुपये का बकाया था, जो 1992-1996 के दौरान कंपनी के बंद होने के कारण एनपीए बन गया था। इसके बाद, आईबीसी की धारा 238ए के तहत और समय सीमा के अनुसार, यह बकाया रद्द हो गया था। इस आधार पर, इंकैब पर बैंकों का कोई बकाया नहीं बचा था।

क्या फैसला आना था?

एनसीएलटी को इस मुद्दे पर निर्णय लेना था कि लेनदारों की कमिटी में मजदूरों को शामिल किया जाए या नहीं। हालांकि, रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने जमशेदपुर के मजदूरों के दावे को स्वीकार नहीं किया और उनके आवेदन को बिना कोई आदेश पारित किए खारिज कर दिया। इसके बाद, भगवती सिंह ने एनसीएलटी, कोलकाता के इस आदेश के खिलाफ अपील करने का संकेत दिया है।

क्या होगा आगे?

इस फैसले से मजदूरों में गुस्सा और असंतोष बढ़ गया है। भगवती सिंह और उनके अधिवक्ताओं ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बनाई है। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बैंकों द्वारा कमला मिल्स, पेगाशस और ट्रॉपिकल वेंचर्स को एनपीए बेचने का जिक्र नहीं किया था, लेकिन एनसीएलटी ने इस पर संज्ञान लिया और रिजोल्यूशन प्रोफेशनल से इन एनपीए के डीड ऑफ असाईनमेंट को सत्यापित करने को कहा। यह कदम मजदूरों के लिए एक नई परेशानी का कारण बन सकता है।

क्या कहना है भगवती सिंह का?

भगवती सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि एनसीएलटी को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना चाहिए था, लेकिन इस फैसले से मजदूरों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

अंत में: यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे इंकैब और मजदूरों के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई है, और इसके परिणामस्वरूप आगामी दिनों में एक नई कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है। क्या भगवती सिंह अपनी अपील में सफल होंगे? यह सवाल अब सभी की जुबान पर है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।