Nawada Case: पीटीसी कर्मी की बर्खास्तगी पर श्रमाधीक्षक के पास मामला, यूनियन ने खोला मोर्चा

नवादा जिले के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में कार्यरत पीटीसी विपीन बिहारी प्रसाद की बर्खास्तगी पर श्रमाधीक्षक के पास मामला पहुंचा। यूनियन ने नियोजक के खिलाफ मोर्चा खोला, जानिए पूरा मामला।

Dec 29, 2024 - 15:49
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Nawada Case: पीटीसी कर्मी की बर्खास्तगी पर श्रमाधीक्षक के पास मामला, यूनियन ने खोला मोर्चा
Nawada Case: पीटीसी कर्मी की बर्खास्तगी पर श्रमाधीक्षक के पास मामला, यूनियन ने खोला मोर्चा

नवादा जिले के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में कार्यरत एक पीटीसी कर्मी को बिना किसी उचित कारण और बिना सूचना के बर्खास्त किए जाने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। इस मामले को लेकर पीटीसी कर्मी विपीन बिहारी प्रसाद ने अपनी शिकायत इंडियन कॉन्सिल ऑफ ट्रेड यूनियन (ICTU) से की, जिसके बाद श्रमाधीक्षक कार्यालय ने कार्रवाई शुरू की। यह मामला नवादा जिले के विभिन्न प्रखंडों और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कई अन्य पीटीसी कर्मियों के लिए भी एक चेतावनी बन गया है।

क्या था पूरा मामला?

दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की वारिसलीगंज शाखा में विपीन बिहारी प्रसाद माडर्न फैसिलिटीज मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तहत पीटीसी पद पर कार्यरत थे। इस कंपनी द्वारा सफाई कर्मी और हाउसकीपर के रूप में पीटीसी कर्मियों की नियुक्ति की जाती है। लेकिन, अचानक बैंक प्रबंधक द्वारा बिना किसी सूचना और कारण के विपीन बिहारी प्रसाद को बर्खास्त कर दिया गया, जिससे वह बेरोजगार हो गए।

विपीन बिहारी प्रसाद ने इस अन्याय के खिलाफ भारतीय ट्रेड यूनियन के सचिव निर्भय कुमार सिंह से संपर्क किया। इसके बाद यूनियन ने श्रमाधीक्षक नवादा के पास एक आवेदन दायर किया और श्रमाधीक्षक ने इस मामले पर त्वरित सुनवाई की तारीख निर्धारित की।

श्रमाधीक्षक की कार्रवाई

श्रमाधीक्षक कार्यालय द्वारा 4 दिसंबर 2024 को इस मामले की सुनवाई की गई, जिसमें माडर्न फैसिलिटीज मैनेजमेंट कंपनी से विपीन बिहारी प्रसाद की नियुक्ति और EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) कटौती से संबंधित कोई जानकारी नहीं प्राप्त हो पाई। इसके अलावा, नियोजक को आदेश दिया गया कि वह कर्मी के सभी बकाए और पारिश्रमिक का भुगतान करें। साथ ही, संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए नोटिस भी जारी किया गया।

सुनवाई के दौरान कंपनी ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया और एक सप्ताह का समय मांगा। इसके बाद श्रमाधीक्षक ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2025 को तय की है।

पीटीसी कर्मियों के लिए एक बड़ी चुनौती

इस बर्खास्तगी के बाद जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत करीब 25 पीटीसी कर्मियों ने अपनी वेतन और नियमित कार्य की मांग को लेकर आवाज उठाई है। इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें प्रति दिन 10 घंटे काम करने के लिए रखा गया था, लेकिन उन्हें तीन घंटे का वेतन दिया जाता है, जो पूरी तरह से अनुचित है।

यूनियन के सचिव निर्भय कुमार सिंह ने कहा कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक श्रमिकों को उनका उचित अधिकार नहीं मिल जाता। वे इस लड़ाई को श्रमिकों के हितों के लिए निर्णायक तक ले जाएंगे।

गांव में माहौल और श्रमिकों की आवाज

इस घटना के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों में बवाल मच गया है। कई पीटीसी कर्मियों ने अपने अधिकारों की मांग को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं दिया जा रहा, उससे वे मानसिक और आर्थिक दबाव का सामना कर रहे हैं।

पारिश्रमिक के मुद्दे पर लगातार आवाज उठाते हुए पीटीसी कर्मियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें लंबे समय तक इस तरह से ठगा नहीं जाने दिया जाएगा। इस मुद्दे को लेकर एकजुटता बढ़ती जा रही है और पूरे जिले के पीटीसी कर्मी इस संघर्ष में शामिल हो गए हैं।

नियमों और अधिकारों की अवहेलना?

यह मामला यह सवाल भी उठाता है कि क्या आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के अधिकारों की सही तरीके से रक्षा हो रही है? क्या कंपनियां और बैंक इस बात का ध्यान रखते हैं कि कर्मचारियों को उनके काम के मुताबिक उचित पारिश्रमिक और सुरक्षा दी जाए?

इस मामले में नियोजक का रवैया भी सवालों के घेरे में है। अगर यह मामला सही तरीके से न सुलझा तो यह आने वाले दिनों में और भी बड़े विवाद का रूप ले सकता है।

नवादा जिले का यह मामला न सिर्फ विपीन बिहारी प्रसाद के लिए बल्कि समस्त पीटीसी कर्मियों के लिए एक संघर्ष बन चुका है। श्रमाधीक्षक कार्यालय की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें यह तय किया जाएगा कि क्या नियोजक को दोषी ठहराया जाएगा और क्या कर्मियों को उनका हक मिलेगा।

यूनियन और पीटीसी कर्मी इस मामले को लेकर पूरी तरह से एकजुट हैं और उनका यह कहना है कि जब तक श्रमिकों को उनका अधिकार नहीं मिल जाता, यह संघर्ष जारी रहेगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।