Nawada Village Dispute: मीरचक गांव में गोलीबारी, दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज, एक गिरफ्तार
नवादा के मीरचक गांव में गोलीबारी और मारपीट के मामले में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज। जानें पूरी कहानी, किसने किया हमला और किसे हुई गिरफ्तारी।
नवादा, 25 दिसंबर 2024: बिहार के नवादा जिले के मीरचक गांव में रविवार शाम को दो पक्षों के बीच हुई गोलीबारी ने इलाके में सनसनी फैला दी। वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के मोसमा पंचायत के मीरचक गांव में यह विवाद मारपीट और गोलीबारी तक बढ़ गया, जिसके बाद दोनों पक्षों की ओर से दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं।
मामले की शुरुआत: विवाद और गोलीबारी की घटना
घटना के बारे में बताया जा रहा है कि जब निशांत कुमार अपने 5-6 साथियों के साथ शाम के समय तालाब की ओर से अपने घर लौट रहे थे, तभी गांव के कुछ लोगों ने उन्हें गाली-गलौज करना शुरू किया और फिर गोलीबारी की। हालांकि, गोलीबारी में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस घटना ने गांव में खलबली मचा दी। निशांत ने गांव के ही पंकज कुमार, नीतीश कुमार, और रवि शंकर कुमार को नामजद आरोपी बनाया और प्राथमिकी दर्ज करवाई।
पुलिस की कार्रवाई: आरोपी की गिरफ्तारी
इस मामले की जांच में जुटी पुलिस ने एक आरोपी नीतीश कुमार को गिरफ्तार कर लिया और उसे सोमवार को जेल भेज दिया। पुलिस ने बताया कि नीतीश कुमार का नाम गोलीबारी में सामने आया था। पुलिस द्वारा की गई इस गिरफ्तारी से गांव में तनाव कुछ हद तक कम हुआ।
दूसरी प्राथमिकी: दूसरे पक्ष का आरोप
वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से अवधेश प्रसाद की पत्नी कांति देवी ने भी पुलिस में आवेदन दिया, जिसमें उन्होंने प्रिय रंजन उर्फ टोनी, प्रमोद कुमार, शशी रंजन कुमार, और पंकज कुमार उर्फ निर्मल कुमार समेत सात लोगों को आरोपी बनाया है। इसके अलावा, कांति देवी ने पांच से छह अज्ञात लोगों को भी गोलीबारी के मामले में शामिल किया।
कांति देवी के आवेदन में यह कहा गया कि शाम को जब वह घर के पास बैठी हुई थीं, तभी सभी आरोपी पैक्स चुनाव से जुड़ी पुरानी रंजिश को लेकर गाली-गलौज करते हुए आईं और फिर गोलीबारी की।
पुलिस की जांच: मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास
पुलिस अब दोनों पक्षों से जुड़े इस मामले की गहन जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि गोलीबारी में जो आरोप लगे हैं, उसकी छानबीन की जा रही है। इसके अलावा, गोलीबारी की वजह और इस घटना के पीछे के कारण को समझने के लिए पुलिस गुप्त सूचना और तकनीकी साक्ष्यों की मदद ले रही है।
इस पूरे मामले ने गांव में दहशत का माहौल बना दिया है। खासतौर पर, गोलीबारी की घटना ने सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।
घटना का ऐतिहासिक संदर्भ: गांवों में चुनावी रंजिशें और हिंसा
यह पहली बार नहीं है जब बिहार के ग्रामीण इलाकों में चुनावी रंजिशों के कारण हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं। अक्सर पैक्स चुनाव या स्थानीय राजनीति के कारण गांवों में विवाद उठते हैं, जो कभी-कभी गोलीबारी और मारपीट जैसी गंभीर घटनाओं का रूप ले लेते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका अहम होती है, क्योंकि गांवों में तात्कालिक समाधान के बिना स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
पुलिस का प्रयास और गांव में शांति की उम्मीद
घटना के बाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई से एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन जांच अभी भी जारी है। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों से बयान लिए हैं और गांव में स्थिति को शांत रखने की कोशिश की है। अब सभी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला तेज किया जाएगा, ताकि इस तरह की हिंसा की पुनरावृत्ति न हो सके।
यह घटना यह भी दिखाती है कि चुनावी रंजिशें अगर समय रहते सुलझाई न जाएं तो वह न केवल व्यक्ति विशेष बल्कि पूरे गांव को प्रभावित कर सकती हैं। पुलिस की निगरानी और समाज में आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में मदद कर सकता है।
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