क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बदल जाएगा मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद का भविष्य?
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की गई है। जानें इस विवाद से जुड़ी प्रमुख बातें।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद की सुनवाई के दौरान क्या नया मोड़ आ सकता है?
मथुरा के ऐतिहासिक श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद ने एक बार फिर से लोगों का ध्यान खींचा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह घोषणा की है कि वह नवंबर के पहले हफ्ते में इस विवाद से जुड़ी मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करेगा। यह विवाद अब सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि कानूनी और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण हो गया है।
क्या है याचिका का विषय?
मुस्लिम पक्ष, जो शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन ट्रस्ट समिति के तहत आता है, ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े 18 सिविल वादों को सुनने योग्य माना गया था। ट्रस्ट ने कोर्ट से इस आदेश को रद्द करने की मांग की है। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है, लेकिन फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे मुख्य मामले की सुनवाई पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।
मामले का महत्व और हाईकोर्ट का फैसला
मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका में 1600 पन्नों का विवरण है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के पांच आपत्तियों को खारिज किए जाने पर सवाल उठाए हैं। 1 अगस्त 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांच मुख्य आपत्तियों को खारिज कर दिया था और इसके बाद हिंदू पक्षकारों द्वारा दायर सभी 18 सिविल वादों को सुनने योग्य करार दिया था। यही आदेश इस याचिका का मुख्य आधार बना है, जिसे मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
क्या सुप्रीम कोर्ट बदलेगा खेल?
अब सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से इस विवाद का भविष्य क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन अगली सुनवाई 4 नवंबर को होने जा रही है। इससे पहले, अदालत ने विवादित परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी, जो फिलहाल जारी रहेगी।
आगे क्या?
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि क्या नवंबर में होने वाली सुनवाई इस ऐतिहासिक विवाद में कोई निर्णायक मोड़ ला सकती है। इस मामले का निर्णय केवल कानूनी दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे सामाजिक और धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं।
इस विवाद का कोई भी फैसला आने वाले समय में मथुरा और देशभर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि अदालत के अगले कदम से इस जटिल मामले में क्या नया मोड़ आएगा।
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