मत भूलो मां बाप का कर्ज - अमन रंगेला
उंगली पकड़कर जिनको चलना सिखाया, बैठाकर कन्धों में जिनको दुनिया दिखाया। अरे वही आज कहते कि तुमने किया ही क्या है? खुद भूखा रहकर जिनको खाना खिलाया।.....
मत भूलो मां बाप का कर्ज
उंगली पकड़कर जिनको चलना सिखाया,
बैठाकर कन्धों में जिनको दुनिया दिखाया।
अरे वही आज कहते कि तुमने किया ही क्या है?
खुद भूखा रहकर जिनको खाना खिलाया।
मैंने तुम्हें पाला, मैंने तुम्हें पढ़ाया,
मैंने तुम्हें जिंदगी की राह दिखाया।
लेकिन तुमने मुझे भुला दिया,
मेरी कुर्बानियों को अनदेखा कर दिया।
मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ किया,
लेकिन तुमने मुझे कुछ नहीं दिया।
मैंने तुम्हारे लिए अपना जीवन समर्पित किया,
लेकिन तुमने मुझे बस एक दर्द दिया।
मैंने तुम्हारे लिए अपने सपने त्याग दिए,
मैंने तुम्हारे लिए अपनी खुशियाँ भी त्याग दीं।
लेकिन तुमने मुझे बस एक धोखा दिया,
मुझे यह कहकर कि तुम मुझे भूल जाओगे।
मैंने तुम्हें अपना बनाया, मैंने तुम्हें अपना कहा,
लेकिन तुमने मुझे बस एक दर्द दिया।
मैंने तुम्हारे लिए अपना जीवन जिया,
लेकिन तुमने मुझे बस एक धोखा दिया।
स्वरचित मौलिक रचनाएं - अंतरराष्ट्रीय
अमन रंगेला "अमन" सनातनी ( हास्य कवि व्यंग्यकार )
सावनेर नागपुर महाराष्ट्र
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