Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा, मंत्री-नेताओं के घरों पर हमला, केंद्रीय गृह मंत्री ने की सुरक्षा समीक्षा
मणिपुर में बढ़ती हिंसा ने राजनीतिक दलों के कार्यालयों को निशाना बनाया, मंत्री-नेताओं के घरों पर हमला किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति की समीक्षा की, जानिए मणिपुर संकट के ताज़ा अपडेट।
मणिपुर में हालात एक बार फिर से बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। शनिवार को जिरीबाम में छह शवों के मिलने की खबर ने पूरे राज्य में भारी हिंसा को जन्म दिया। खासकर इंफाल पूर्व और पश्चिम जिलों में राजनीतिक दलों के कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया और मंत्री, विधायक, और राजनीतिक नेताओं के घरों पर हमले किए गए। इस हिंसा के बाद मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति का जायजा लिया और शांति सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने का आदेश दिया।
आगजनी और तोड़फोड़ का ताज़ा मामला
जिरीबाम जिले में शनिवार को छह शवों की बरामदगी के बाद हिंसा का नया दौर शुरू हुआ। सेना और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने रविवार रात को इंफाल और उसके आसपास फ्लैग मार्च किया, ताकि स्थिति को काबू में किया जा सके। हालांकि, विरोधी समुदायों के बीच तनाव और बढ़ गया, जिससे रविवार रात को जिरीबाम में कई राजनीतिक कार्यालयों में आगजनी की घटनाएं हुईं। इस दौरान कम से कम पांच चर्च, एक स्कूल और 14 आदिवासी घरों को जलाया गया, जिससे हिंसा और अधिक बढ़ी।
नदी में तैरते शव ने बढ़ाई बेचैनी
जिरीबाम में तैरते हुए एक महिला का शव रविवार को बरामद हुआ, जिससे एक बार फिर राज्य में तनाव का माहौल बन गया। यह शव असम पुलिस द्वारा बराक नदी से बरामद किया गया, जो जिरीबाम की सीमा पर है। इस शव की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे विरोध प्रदर्शन और हिंसा में और इजाफा हुआ।
राजनीतिक हमलों ने बढ़ाई चिंता
इंफाल और उसके बाहरी इलाकों में कई राजनीतिक नेताओं और मंत्रियों के घरों पर भीड़ ने हमला किया। घरों में तोड़फोड़ और आगजनी के बाद पुलिस ने इन हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। अब तक 25 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनसे हथियार, मोबाइल फोन और गोला-बारूद बरामद हुए हैं। इन हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
कर्फ्यू और इंटरनेट बंदी
जिरीबाम और आसपास के इलाकों में हिंसा के बढ़ते असर को देखते हुए, राज्य सरकार ने सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया। इम्फाल और उसके आसपास के सात जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है, और मोबाइल इंटरनेट और डाटा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। यह कदम कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोग और व्यवसाय इससे प्रभावित हो रहे हैं।
एनपीपी का समर्थन वापस लेना
इस बीच, मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार के लिए एक और बड़ा झटका आया है। एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिससे राज्य में एक नया राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है। हालांकि, बीजेपी के पास बहुमत होने के बावजूद, इस राजनीतिक उलटफेर ने मणिपुर के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ा दी है।
राजनीतिक संकट और भविष्य का खतरा
मणिपुर में हुई यह हिंसा न केवल राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाती है, बल्कि समाज के भीतर जातीय और धार्मिक तनाव को भी उजागर करती है। ऐसे में राज्य के भीतर शांति बहाल करना और सामाजिक समरसता को फिर से स्थापित करना एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस संकट का असर आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी हो सकता है, क्योंकि चुनावी माहौल में इस प्रकार की हिंसा मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।
केंद्रीय गृह मंत्री की निगरानी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी चुनावी रैलियों को रद्द करके मणिपुर का रुख किया और अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। अमित शाह ने राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी सुरक्षा बलों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी कीमत पर हिंसा को रोकें और स्थिति को काबू में लाएं।
क्या मणिपुर फिर से स्थिर हो पाएगा?
इस समय मणिपुर में हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद राज्य की सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों के सामने यह सवाल है कि क्या वे शांति और व्यवस्था बहाल कर पाएंगे। राज्य में जातीय संघर्षों के बीच राजनीतिक स्थिरता की भी आवश्यकता है, और यह समय बताएगा कि मणिपुर इस संकट से उबरने में सक्षम होगा या नहीं।
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