जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश, 11 नवंबर से संभाला पदभार
जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। जानें उनके करियर की प्रमुख उपलब्धियां।
नई दिल्ली, 11 नवंबर 2024: सोमवार को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण की। यह समारोह राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुआ, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और हाल ही में रिटायर हुए पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे।
संजीव खन्ना का अब तक का सफर
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने अपनी कानूनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1983 में वकालत की शुरुआत की। अपनी न्यायिक यात्रा की शुरुआत में ही उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपनी सूझबूझ का परिचय दिया। 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया और अगले ही साल 2006 में स्थायी जज के रूप में पदोन्नत किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें न्यायिक अनुशासन और कानून के प्रति गहरी समझ के लिए जाना गया।
सुप्रीम कोर्ट में पदस्थापना
जस्टिस संजीव खन्ना को 2019 में सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उच्चतम न्यायालय में अपनी सेवाएं देने के दौरान उन्होंने कई प्रमुख फैसले दिए। उनकी गहन विधिक समझ, तर्कशक्ति, और निष्पक्षता ने उन्हें न्यायपालिका के उच्चतम पद पर पहुँचाया। अब मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी यह यात्रा 11 नवंबर 2024 से शुरू होकर 13 मई 2025 तक चलेगी।
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हुआ, जिसके बाद जस्टिस खन्ना ने यह पद संभाला। जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में न्यायपालिका ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, और उनकी गहन विधिक समझ से भारतीय न्यायपालिका को नई दिशा मिली। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना का पद संभालना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है।
न्यायपालिका में योगदान और उम्मीदें
जस्टिस खन्ना को उनके शांत, संयमित और निष्पक्ष दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। उन्हें न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने वाला न्यायाधीश माना जाता है। उनके अनुभव और कानूनी समझ के चलते उन्हें एक प्रखर और ईमानदार न्यायाधीश के रूप में देखा गया है। उनके कार्यकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता, संवैधानिक अधिकार और सामाजिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिए जाने की उम्मीद की जा रही है।
न्यायपालिका में पारिवारिक परंपरा
जस्टिस संजीव खन्ना का परिवार भारतीय न्यायपालिका में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। उनके चाचा, जस्टिस हंसराज खन्ना, भी एक समय में भारत के सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित जज रहे थे और उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस प्रकार, जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायपालिका में योगदान न केवल उनके करियर की, बल्कि उनके परिवार की परंपरा को भी आगे बढ़ाता है।
चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ
सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना के सामने कई चुनौतियाँ हैं। न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या को कम करना, न्यायपालिका में डिजिटल तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग बढ़ाना, और संवैधानिक मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल हो सकता है। इसके साथ ही, सामाजिक न्याय, महिला अधिकार, और नागरिक स्वतंत्रता जैसे विषयों पर उनके विचार और फैसले भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना का सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनकी नेतृत्व क्षमता, निष्पक्ष दृष्टिकोण, और कानूनी समझ को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि उनके कार्यकाल में भारतीय न्यायपालिका को एक नई दिशा मिलेगी।
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