Jugsalai Celebration: स्लम बच्चों संग बही खुशियों की बयार, वॉयस ऑफ ह्यूमैनिटी ने अनोखे अंदाज में मनाई होली!
जुगसलाई की बलदेव बस्ती में वॉयस ऑफ ह्यूमैनिटी संस्था ने स्लम बच्चों के संग अनोखे अंदाज में होली मनाई। रंग, गुलाल, पिचकारी और मिठाइयों के साथ बस्ती में खुशियों की बहार आई। पढ़ें पूरी खबर!

होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि खुशियों को बांटने का पर्व भी है। इसी संदेश को आत्मसात करते हुए सामाजिक संस्था वॉयस ऑफ ह्यूमैनिटी ने जुगसलाई स्थित बलदेव बस्ती के स्लम बच्चों के साथ एक अनोखी और यादगार होली मनाई। जहां आमतौर पर बड़े-बड़े आयोजन देखे जाते हैं, वहीं इस बार रंगों की बौछार बस्ती के छोटे बच्चों और बुजुर्गों के बीच देखने को मिली।
रंग, गुलाल और पिचकारी से बस्ती में बिखरी मुस्कान
होली की शुरुआत रंग और गुलाल से हुई, लेकिन यह सिर्फ एक साधारण समारोह नहीं था। संस्था के सदस्यों ने सैकड़ों स्लम बच्चों के बीच रंग, अबीर, पिचकारी और मिठाइयाँ बाँटी, जिससे बस्ती का माहौल पूरी तरह से उल्लास और उमंग में डूब गया। बच्चों के साथ-साथ वहाँ के बुजुर्गों और महिलाओं ने भी रंगों से सराबोर होकर इस त्योहार को मनाया। देखते ही देखते बस्ती का हर कोना खुशियों से भर गया और ऐसा लगा मानो पूरी बस्ती एक परिवार की तरह होली मना रही हो।
होली का ऐतिहासिक महत्व और समाजसेवा का जुड़ाव
होली का उत्सव सिर्फ रंगों का खेल नहीं, बल्कि यह एक संस्कृति, प्रेम और समानता का प्रतीक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका दहन की परंपरा शुरू हुई थी। वहीं, यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का भी संकेत देता है, जब प्रकृति खिल उठती है। इसी भावना के साथ वॉयस ऑफ ह्यूमैनिटी ने यह संदेश दिया कि होली सिर्फ अपने परिवार तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे उन तक भी पहुँचाना चाहिए जिन्हें खुशियों की सबसे ज्यादा जरूरत है।
संस्था के सदस्यों ने निभाई अहम भूमिका
इस कार्यक्रम में वॉयस ऑफ ह्यूमैनिटी के सभी सदस्य बीना जंघेल, रानी सिंह राजपूत, हरि सिंह राजपूत, चंदन सिंह, गगनदीप, संदीप, सुखविंदर, रौनक, शुभम, अभिषेक, पुनीत, योगेश, रौशन, रोहित, महेश, बबलू, शुभम, राहुल, प्रवीण समेत कई अन्य लोग मौजूद रहे। सभी ने मिलकर बच्चों को रंगों की अहमियत समझाई और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
समाज में बदलाव लाने की पहल
संस्था के इस कार्य ने यह साबित कर दिया कि अगर हम त्योहारों को सही मायने में मनाना चाहते हैं, तो उसे जरूरतमंदों के साथ साझा करना चाहिए। होली का असली रंग तभी है जब हर कोई इसमें शामिल हो सके। जुगसलाई की इस बस्ती में हुए इस आयोजन ने दिखा दिया कि खुशियाँ बाँटने से ही बढ़ती हैं।
इस होली मिलन कार्यक्रम ने न सिर्फ बच्चों के चेहरों पर हँसी बिखेरी, बल्कि यह भी संदेश दिया कि समाज में हर व्यक्ति को समान रूप से खुशियों का अधिकार मिलना चाहिए।
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