झारखंडी संगठन में मचा बवाल: मारने-काटने की भाषा पर उठा सवाल, उपाध्यक्ष ने किए गंभीर आरोप!
झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति में उपाध्यक्ष संजय मेहता ने अध्यक्ष जयराम महतो पर संगीन आरोप लगाए हैं। जानिए कैसे संगठन में वैचारिक कमी और भाषा की शालीनता पर उठे सवाल।
रांची: झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) में चल रही आंतरिक कलह अब सतह पर आ चुकी है। संगठन के उपाध्यक्ष संजय मेहता ने अपने अध्यक्ष जयराम महतो को एक खुला पत्र लिखकर संगठन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शुक्रवार को लिखे गए इस पत्र में मेहता ने संगठन में वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी और भाषणों में अनर्गल भाषा के इस्तेमाल को लेकर तीखी आलोचना की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि सभ्य समाज में "मारने-काटने" जैसी भाषा को स्वीकार नहीं किया जा सकता और ऐसे वक्तव्य संगठन की छवि को धूमिल करते हैं।
संगठन में वैचारिक शून्यता और भाषा की अशालीनता
संजय मेहता ने अपने पत्र में संगठन के भीतर वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा, "हमारा संगठन जिन उद्देश्यों के साथ स्थापित हुआ था, उन पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय अब यह व्यक्तिगत स्वार्थों और सत्ता की होड़ में फंस चुका है।" मेहता ने संगठन के अध्यक्ष पर आरोप लगाया कि वे भाषणों में ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, जो न केवल असभ्य है, बल्कि संगठन की साख पर भी सवाल उठाती है।
युवा सदस्यों को नहीं मिल रहा सम्मान
पत्र में संजय मेहता ने 17 बिंदुओं को उठाया है, जिनमें से एक प्रमुख मुद्दा संगठन के नए और युवा सदस्यों के प्रति असम्मान का है। उनका कहना है कि संगठन में नए युवा सदस्यों को वह सम्मान और समर्थन नहीं मिल रहा है, जिसके वे हकदार हैं। "युवा पीढ़ी हमारे संगठन की रीढ़ है, लेकिन उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा है," मेहता ने कहा।
संगठन विस्तार में छूटे संघर्षशील साथी
मेहता का आरोप है कि संगठन के विस्तार के दौरान कई संघर्षशील साथियों का नाम जानबूझकर छोड़ दिया गया। "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोगों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है जिन्होंने संगठन की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी," मेहता ने कहा। उनका मानना है कि यह संगठन की अंदरूनी राजनीति का हिस्सा है, जहां कुछ चुनिंदा लोगों को ही आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है।
टिकट की दावेदारी पर भी उठे सवाल
संजय मेहता ने इस बात का भी खुलासा किया कि संगठन में टिकट की दावेदारी के लिए 5100 रुपये की राशि के साथ आवेदन मांगा गया था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह सही प्रक्रिया है और इससे संगठन की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
अध्यक्ष का पलटवार: सोशल मीडिया नहीं, पार्टी फोरम में उठाएं मुद्दे
संजय मेहता के आरोपों पर संगठन के अध्यक्ष जयराम महतो ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि संजय मेहता को अपनी समस्याओं को सोशल मीडिया पर उठाने की बजाय पार्टी फोरम में रखना चाहिए था। "उन्हें कोर कमिटी की बैठक में इन मुद्दों पर बात करनी चाहिए थी," महतो ने कहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मेहता "प्रेशर पॉलिटिक्स" कर रहे हैं, और यह संगठन के लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या यह संगठन की एकता के लिए खतरा?
इस पूरे घटनाक्रम ने संगठन की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस तरह से उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं, उससे संगठन के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। क्या यह कलह संगठन को कमजोर करेगी, या फिर इससे संगठन और मजबूत होकर उभरेगा? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति एक बड़े विवाद में फंसता नजर आ रहा है।
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