क्या झारखंड के साहिबगंज में घुसपैठियों का खेल हो गया है बेकाबू? जानें चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का सच

झारखंड के साहिबगंज में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर घुसपैठियों ने सरकारी योजनाओं का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। जानें कैसे यह खेल दशकों से जारी है और सरकार के लिए चुनौती बन चुका है।

Sep 4, 2024 - 13:14
Sep 4, 2024 - 13:58
क्या झारखंड के साहिबगंज में घुसपैठियों का खेल हो गया है बेकाबू? जानें चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का सच
क्या झारखंड के साहिबगंज में घुसपैठियों का खेल हो गया है बेकाबू? जानें चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का सच

साहिबगंज, झारखंड: झारखंड के साहिबगंज और उसके आस-पास के इलाकों में घुसपैठ का खेल इस कदर हावी है कि उसकी असलियत जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। खासकर, संताल परगना क्षेत्र, जो बंगाल से सटा हुआ है, घुसपैठियों की साजिश का गढ़ बन चुका है। दशकों से यह घुसपैठ जारी है, और कई बार इसका पर्दाफाश भी हुआ है, लेकिन इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। इस मुद्दे पर राजनीति तो खूब हुई, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।

इस फर्जीवाड़े का ताजा उदाहरण दुमका की तौफुल बीबी का मामला है। साहिबगंज के राजमहल क्षेत्र के नारायणपुर फेलुटोला निवासी तौफुल बीबी ने 26 सालों में 13 बच्चों को जन्म दिया, जो औसतन हर छह महीने में एक बच्चे का जन्म दर्शाता है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से आठ बच्चों का जन्म अलग-अलग वर्षों में एक ही तिथि यानी 1 जनवरी को हुआ। यह सारे जन्म प्रमाण पत्र दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड के तालझारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से बनाए गए, जो पूरी तरह से फर्जी निकले।

यह केवल एक उदाहरण नहीं है। साहिबगंज के कई निवासी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में फर्जीवाड़े का सहारा ले रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, 15 जून 2021 को राजमहल नारायणपुर के कमाल टोला निवासी अब्दुल शेख ने 60 साल की उम्र में और कोहिनूर बीबी ने 54 साल की उम्र में अपने जन्म का निबंधन कराया। यह दोनों ही मामले दर्शाते हैं कि कैसे फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर घुसपैठियों ने स्थानीय नागरिकता का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है।

फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के बाद ये घुसपैठिये आधार कार्ड, राशन कार्ड समेत अन्य सरकारी दस्तावेज बनवा लेते हैं। यह दस्तावेज उन्हें न केवल स्थानीय नागरिकता का प्रमाण देते हैं, बल्कि इन्हें केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने में भी मदद करते हैं। इस प्रकार, ये घुसपैठिये सरकार को चूना लगाने में सफल हो जाते हैं।

इस मुद्दे ने अब एक बड़ी समस्या का रूप ले लिया है। यह फर्जीवाड़ा न केवल सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करता है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति की जटिलताओं को भी सामने लाता है। सरकार के सामने अब यह एक बड़ी चुनौती बन चुकी है कि कैसे इस घुसपैठ और फर्जीवाड़े को रोककर असली नागरिकों को न्याय दिलाया जाए।