झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने की फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की समीक्षा, 9 जिलों में एमडीए प्रोग्राम की होगी शुरुआत
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के अभियान की समीक्षा की। 10 अगस्त से 9 जिलों में एमडीए प्रोग्राम शुरू किया जाएगा, जिसका लक्ष्य 1.24 करोड़ लोगों को दवा देना है।
झारखंड के स्वास्थ्य और खाद्य आपूर्ति मंत्री बन्ना गुप्ता ने राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के उद्देश्य से चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा बैठक की। इस बैठक के दौरान उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री प्रताप राव जाधव के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य की तैयारियों का जायजा लिया। फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से निपटने के लिए 10 अगस्त से शुरू हो रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) प्रोग्राम की योजना बनाई गई है, जो झारखंड के 9 जिलों में चलेगा।
फाइलेरिया उन्मूलन अभियान: एक व्यापक पहल
बन्ना गुप्ता ने बताया कि यह एमडीए प्रोग्राम 2024 में झारखंड के 9 जिलों में चलाया जाएगा। इनमें चतरा, दुमका, गोड्डा, हजारीबाग, जामताड़ा, लातेहार, पलामू, सरायकेला और पश्चिम सिंहभूम शामिल हैं। इस अभियान का लक्ष्य 1 करोड़ 41 लाख 37 हजार 228 की आबादी में से 1 करोड़ 24 लाख 40 हजार 760 लोगों को दवाइयां प्रदान करना है। इसके लिए 14,095 गांवों को चिह्नित कर 1,777 स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं।
गरीबी रेखा से नीचे के लोगों पर विशेष ध्यान
मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि फाइलेरिया का रोग मुख्यतः गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को प्रभावित करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावित जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इसके साथ ही, बरसात के मौसम को देखते हुए मच्छरदानी का वितरण भी तेजी से करने की अपील की।
एमडीए प्रोग्राम का लक्ष्य और योजना
इस व्यापक अभियान के तहत कुल 3 करोड़ 11 लाख दवाइयां वितरित करने की योजना बनाई गई है। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से यह दवाइयां लोगों तक पहुंचाई जाएंगी। इस दौरान एसीएमओ जोगेश्वर प्रसाद और जिला फाइलेरिया अधिकारी ए मित्रा भी मौजूद रहे, जिन्होंने इस अभियान की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
झारखंड सरकार का यह कदम राज्य को फाइलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। बन्ना गुप्ता के नेतृत्व में इस अभियान को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रयास का उद्देश्य केवल बीमारी को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि समाज के उन वर्गों को सुरक्षित करना है, जो इस रोग के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
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