टेल्को के महानंद बस्ती में अटल मोहल्ला क्लीनिक में बिजली-पानी की कमी से मरीज परेशान
जमशेदपुर के टेल्को स्थित महानंद बस्ती के अटल मोहल्ला क्लीनिक में बिजली और पानी की सुविधा न होने के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानिए स्थानीय निवासियों और डॉक्टरों की क्या हैं मांगें।
जमशेदपुर, टेल्को: जमशेदपुर के टेल्को क्षेत्र स्थित महानंद बस्ती में स्वास्थ्य चिकित्सा कल्याण विभाग द्वारा संचालित अटल मोहल्ला क्लीनिक में मरीजों को बेहतर इलाज मिलने की उम्मीदें तब धरी की धरी रह गईं, जब उन्हें बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ा। इस क्लीनिक में बिजली और पानी की सुविधा नहीं होने के कारण यहां आने वाले मरीजों और स्टाफ को असहनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मरीजों और स्थानीय निवासियों की परेशानी:
स्थानीय निवासी मुन्ना देवी ने कहा, "सरकार और प्रशासन ने जनता की जरूरतों को देखते हुए इस स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण तो किया, लेकिन आज तक यहां बिजली और पानी की सुविधा नहीं मिल पाई। इससे मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की बुनियादी सुविधाओं की कमी से स्वास्थ्य केंद्र का उद्देश्य अधूरा रह जाता है। यह बात सिर्फ मरीजों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि क्लीनिक के कर्मचारी भी इस असुविधा का सामना कर रहे हैं।
डॉक्टरों की अपील:
वहीं, अटल मोहल्ला क्लीनिक की डॉक्टर रेशमा कुमारी ने बताया, "स्वास्थ्य विभाग को इस समस्या पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। बिजली और पानी की सुविधाओं के बिना, यहां सही से काम करना बेहद मुश्किल हो गया है।" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब तक इन बुनियादी सुविधाओं को बहाल नहीं किया जाता, तब तक मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
स्वास्थ्य विभाग से उम्मीदें:
स्थानीय निवासियों और क्लीनिक के कर्मचारियों ने स्वास्थ्य विभाग से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करें। उन्होंने मांग की है कि महानंद बस्ती के इस स्वास्थ्य केंद्र में बिजली और पानी की सुविधाओं का प्रबंध किया जाए ताकि यहां आने वाले मरीजों को राहत मिल सके और उन्हें समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
अटल मोहल्ला क्लीनिक जैसी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य जनता को निःशुल्क और सुलभ इलाज प्रदान करना है। लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक समाधान करता है।
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