Jharkhand Election में बढ़ा सस्पेंस: 23 नवंबर को खुलेगा सत्ता का ताला

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर। जानें कोल्हान, संथाल परगना और निर्दलीयों की भूमिका।

Nov 21, 2024 - 17:51
Nov 21, 2024 - 17:53
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Jharkhand Election में बढ़ा सस्पेंस: 23 नवंबर को खुलेगा सत्ता का ताला
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रांची, 21 नवंबर 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान समाप्त हो चुका है। राज्य में दो चरणों में हुए इस चुनाव में पहले चरण में 43 सीटें, और दूसरे चरण में 38 सीटों पर वोट डाले गए। अब सभी की नजरें 23 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह साफ हो जाएगा कि झारखंड की सत्ता पर एनडीए का कब्जा होगा या इंडिया गठबंधन अपना परचम लहराएगा।

दो विचारधाराओं की सियासी जंग

इस चुनाव को दो अलग विचारधाराओं के बीच मुकाबला माना जा रहा है। एक ओर एनडीए (भाजपा, आजसू) है, तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन (झामुमो, कांग्रेस, राजद और माले) ने मोर्चा संभाला है। तमाम एग्जिट पोल एनडीए को मजबूत दिखा रहे हैं, लेकिन कुछ जगहों पर इंडिया गठबंधन को भी बढ़त मिलती दिख रही है।

हालांकि, जमीनी स्तर पर वोटरों की गोलबंदी ने कई सीटों पर कांटे की टक्कर पैदा कर दी है। अनुमान है कि 15 से 20 सीटें ऐसी हैं, जो नतीजों का रुख बदल सकती हैं।

निर्दलीयों की बढ़ी अहमियत

विशेष रूप से कोडरमा, पांकी और जमशेदपुर पूर्वी जैसी सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इन सीटों पर स्थानीय उम्मीदवारों का प्रभाव और गठबंधन की कमजोरी का फायदा निर्दलीयों को मिल सकता है।

एनडीए और इंडिया: कौन कहां मजबूत?

एनडीए का गणित:

एनडीए का फोकस झारखंड के कोल्हान और संथाल परगना इलाकों पर है। भाजपा को यहां पर 4 से 6 सीटों पर जीत का भरोसा है।

  • कोल्हान: आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में भाजपा अपने "बांग्लादेशी घुसपैठ" वाले नैरेटिव के जरिए वोटरों को आकर्षित करने में जुटी रही।
  • संथाल परगना: भाजपा की रणनीति आदिवासी और गैर-आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण करना है।

इंडिया गठबंधन की तैयारी:

इंडिया गठबंधन का मुख्य सहारा झामुमो है, जिसे आदिवासी आरक्षित सीटों पर अपनी मजबूती का भरोसा है।

  • झामुमो की योजनाएं, जैसे मंईयां सम्मान योजना, बिजली माफी योजना, और पुरानी पेंशन योजना, महिला वोटरों को लुभाने में सफल रहीं।
  • हालांकि, गठबंधन की कमजोर कड़ी कांग्रेस है, जिसे 3-4 सीटों का नुकसान हो सकता है।

महिला वोटरों का बढ़ता प्रभाव

2024 के इस चुनाव में महिलाओं की भूमिका को बेहद अहम माना जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में बढ़े हुए महिला वोटों ने इस बार चुनावी गणित को प्रभावित किया है।

  • हेमंत सोरेन की योजनाएं: महिलाओं को लक्षित योजनाओं के कारण झामुमो को लाभ मिलता दिख रहा है।
  • ग्रामीण इलाकों का असर: संथाल और कोल्हान जैसे इलाकों में महिला वोटरों की बढ़ती संख्या एनडीए के लिए चुनौती हो सकती है।

एग्जिट पोल और राजनीतिक अनुमान

एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त दिखाई गई है, लेकिन यह बढ़त बहुत निर्णायक नहीं है।

  • भाजपा: कुछ सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारकर भाजपा ने रिस्क लिया है। यह कदम सफल भी हो सकता है और नुकसान भी पहुंचा सकता है।
  • झामुमो: झामुमो को आदिवासी बहुल इलाकों में बढ़त का भरोसा है, लेकिन कांग्रेस के प्रदर्शन पर उसकी निर्भरता उसे नुकसान पहुंचा सकती है।

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?

  • भाजपा के लिए चुनौती:
    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को आजसू के साथ तालमेल में दिक्कत हो सकती है। कुछ सीटों पर आजसू के स्थानीय नेतृत्व का असर भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

  • झामुमो की रणनीति:
    झामुमो को आदिवासी सीटों पर मजबूत माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन का सीधा असर इंडिया गठबंधन पर पड़ सकता है।

निर्णायक क्षण का इंतजार

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। यह तय है कि सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का रास्ता कांटों भरा होगा। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए यह चुनाव एक बड़ी परीक्षा साबित होने वाला है।

नतीजे तय करेंगे झारखंड का भविष्य

झारखंड के विधानसभा चुनाव ने यह साफ कर दिया है कि राज्य की जनता बदलाव के मूड में है।

  • क्या भाजपा और एनडीए एक बार फिर सत्ता पर काबिज होंगे?
  • या झामुमो और इंडिया गठबंधन अपनी पकड़ मजबूत करेंगे?

यह सवाल अब 23 नवंबर को ही सुलझेगा। फिलहाल, दोनों गठबंधनों के नेता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन कड़ा मुकाबला और निर्दलीयों की भूमिका ने सभी की धड़कनें बढ़ा दी हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।