Jharkhand Election विवाद: नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर मचा हंगामा, सरकार पर उठे बड़े सवाल
झारखंड में नगर निकाय चुनाव पर बड़ा विवाद! क्या यह बिना OBC आरक्षण के होगा? सरयू राय ने सरकार से पूछे कड़े सवाल, मंत्री सुदिव्य कुमार ने दी सफाई। पढ़ें पूरी खबर!

झारखंड विधानसभा सत्र के 17वें दिन नगर निकाय चुनाव को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। विधायक सरयू राय ने चुनाव में OBC आरक्षण को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह पंचायत चुनाव बिना OBC आरक्षण के संपन्न हुआ, उसी तरह नगर निकाय चुनाव भी बिना आरक्षण के ही होने की संभावना है। उन्होंने सरकार से सीधे तौर पर पूछा कि आखिर इस दिशा में कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं?
इस पर मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने सफाई देते हुए कहा कि चुनाव समय पर होंगे और अगर जरूरत पड़ी, तो इसके लिए झारखंड हाईकोर्ट से समय बढ़ाने की मांग की जाएगी। लेकिन क्या सच में सरकार OBC आरक्षण को लेकर गंभीर है, या फिर यह सिर्फ चुनावी बयानबाजी है?
क्या बिना आरक्षण के होगा चुनाव? सरयू राय ने सरकार को घेरा
सदन में चर्चा के दौरान सरयू राय ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि झारखंड हाईकोर्ट द्वारा तय की गई तारीख तक क्या चुनाव संभव है? क्या यह भी पंचायत चुनाव की तरह बिना "ट्रिपल टेस्ट" के ही संपन्न होगा?
सरयू राय का यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि OBC आरक्षण को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति ने झारखंड के राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है।
मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू का दावा – सिर्फ तीन जिलों में बाकी है सर्वे
सरयू राय के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि फिलहाल सिर्फ तीन जिलों में ट्रिपल टेस्ट का सर्वे बाकी है। झारखंड हाईकोर्ट ने चुनाव संपन्न कराने के लिए जो समयसीमा तय की है, उसमें अभी भी कुछ समय शेष है।
अगर तय समय में सर्वे पूरा हो जाता है, तो चुनाव बिना किसी रुकावट के हो जाएंगे। लेकिन अगर समयसीमा तक सर्वे रिपोर्ट पूरी नहीं होती, तो सरकार हाईकोर्ट से थोड़ा और समय मांग सकती है।
OBC आरक्षण घटाने का आरोप, नवीन जयसवाल कटघरे में
सदन की बहस के दौरान एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने विधायक नवीन जयसवाल पर OBC आरक्षण घटाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि झारखंड में OBC के लिए 27% आरक्षण को घटाकर 14% करने में सबसे बड़ा हाथ नवीन जयसवाल का था। यानी, अब OBC को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और इसके लिए सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं।
ट्रिपल टेस्ट सर्वे की देरी से बढ़ी समस्या
बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव के लिए चार महीने का समय दिया था और इसे 16 मई 2025 तक संपन्न कराने का निर्देश दिया था।
लेकिन OBC आरक्षण लागू करने के लिए जरूरी "ट्रिपल टेस्ट" सर्वे का काम दिसंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में शुरू हुआ था। अब सवाल यह है कि क्या सरकार तय समय में इस सर्वे को पूरा कर पाएगी? या फिर OBC आरक्षण एक बार फिर सिर्फ वादों तक सीमित रह जाएगा?
क्या OBC के साथ होगा अन्याय? सरकार पर दबाव बढ़ा
झारखंड में OBC समुदाय लंबे समय से अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग कर रहा है। अगर नगर निकाय चुनाव बिना OBC आरक्षण के संपन्न होता है, तो यह समुदाय के लिए एक बड़ा झटका होगा।
सरकार पर अब जबरदस्त दबाव बन गया है। अगर चुनाव समय पर नहीं होते, तो सरकार को हाईकोर्ट से समय मांगना होगा। और अगर बिना आरक्षण के चुनाव होते हैं, तो यह झारखंड की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
अब देखना यह है कि क्या झारखंड सरकार इस बार OBC आरक्षण को सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाए रखेगी, या सच में कोई ठोस कदम उठाएगी?
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