जीवन का सत्य ( कविता ) - दीप गुप्ता जी,देहरादून
जीवन का सत्य ( कविता ) - दीप गुप्ता जी,देहरादून
जीवन का सत्य
फिर घमंड कैसा
घमंड न करना जिन्दगी में
तकदीर बदलती रहती है
शीशा वही रहता है
तस्वीर बदलती रहती है
आईना तो झूठ नहीं है बोलता
बस इंसान की फितरत बदलती रहती है
जो सच होता है वही दिखा देता है आईना
इंसान की असलियत पल पल बदलती रहती है
इसलिए चार दिन की जिन्दगानी में
ऐ बन्दे घमंड किस बात का
सब इस ख़ाक में मिल जाना है
यही इस जिन्दगी का फसाना है
कुदरत की मार को कब किसने जाना है
कल क्या हो जाए क्या कोई ठिकाना है
तुम घमंड करते हो किस बात का
भरोसा नहीं है इंसान के हालात का
इक दिन यहां ही सब छोड़ कर चला जाएगा
तेरा अभिमान तेरा गुमान तेरा गरूर सब चूर चूर हो जाएगा
पछतावे के सिवा कुछ न तेरे पास रह जाएगा
क्योंकि पल पल में तकदीर बदलती रहती है
आईना तो वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है।।
स्वरचित मौलिक एवम अप्रकाशित रचना :
रचनाकार: दीप गुप्ता जी,देहरादून
उत्तराखण्ड
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