Jamua Incident: इलाज में लापरवाही से युवक की मौत, पत्नी ने उठाए गंभीर आरोप!
जमुआ अस्पताल में इलाज में लापरवाही का मामला, मृतक के परिवार ने लगाए गंभीर आरोप, BDO और चिकित्सा प्रभारी ने दिया बयान।
जमुआ (गिरिडीह)। जमुआ सरकारी अस्पताल में इलाज में लापरवाही का एक मामला सामने आया है, जिसमें एक युवक की मौत के बाद उसकी पत्नी ने आरोप लगाया है कि यदि समय पर इलाज किया जाता, तो उसकी जान बच सकती थी। मृतक के परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही और अस्पताल के कर्मियों की अनदेखी के कारण युवक की जान चली गई।
मृतक की पत्नी ने क्या कहा? मृतक के परिवार की ओर से सुनीता देवी ने बताया कि उनके पति की मौत समुचित इलाज के अभाव में हुई है। उनका कहना था, "अगर समय पर चिकित्सक बेहतर इलाज शुरू कर देते, तो मेरे पति की जान बच सकती थी। यहां सभी डॉक्टर अपने निजी काम में व्यस्त रहते हैं, और अस्पताल में एसएचओ ही इलाज कर रहे हैं।" सुनीता देवी ने बताया कि उनके पति को 3:30 बजे 108 एंबुलेंस से तरडीहा गांव से उठाकर बिना किसी सूचना के अस्पताल लाया गया था।
सुनीता देवी ने बताया, "चार बजे शाम को मुझे सूचना मिली कि मेरे पति ट्रैक्टर से गिरकर जख्मी हुए हैं और उन्हें जमुआ सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जब मैं अस्पताल पहुंची, तो मैंने देखा कि उनके शरीर पर कोई दवा नहीं दी जा रही थी। अस्पताल कर्मियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके पति ठीक हैं और नींद में हैं। बाद में पता चला कि उनकी मौत हो चुकी थी।"
क्या था इलाज का हाल? मृतक के परिवार के अनुसार, अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा उचित इलाज नहीं किया गया था, और अस्पताल के कर्मचारी भी उनके पति के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं थे। परिवार ने आरोप लगाया कि समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण ही उनकी मौत हो गई।
चिकित्सा प्रभारी का बयान जमुआ के चिकित्सा प्रभारी डॉ. कुलदीप तिर्की ने इस आरोप का खंडन किया है। उन्होंने बताया कि चरकू राय 3:30 बजे जख्मी हालत में सरकारी एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचे थे। डॉ. रोजलीन ने उनका प्राथमिक उपचार शुरू कर दिया था और वह ठीक हो चुके थे। डॉ. तिर्की का कहना था, "परिजनों ने अस्पताल में यह आरोप लगाया कि इलाज में लापरवाही हुई है, लेकिन यह आरोप गलत हैं। दरअसल, उनके परिजन उन्हें घर ले जाने की इच्छा जताते हुए अस्पताल से निकालने लगे थे, और रास्ते में उनकी मौत हो गई।"
क्या है इस मामले की सच्चाई? यह मामला अब गहरे सवालों में उलझ चुका है। परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती, जबकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि मरीज को बेहतर इलाज दिया गया था और उनकी मौत रास्ते में हुई। यह सवाल उठता है कि यदि मरीज को अस्पताल में ठीक इलाज मिल रहा था, तो अचानक मौत क्यों हो गई?
क्या होगी आगे की कार्रवाई? अब इस मामले में जांच की जाएगी और यह तय किया जाएगा कि अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई लापरवाही हुई थी या नहीं। अगर इलाज में कोई कोताही पाई जाती है, तो जिम्मेदार व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सारांश: जमुआ में इलाज में लापरवाही के आरोपों के बीच मृतक के परिवार का कहना है कि समय पर इलाज मिलने से उनके पति की जान बच सकती थी। अब इस मामले की जांच की जा रही है, और अस्पताल प्रशासन के दावों और आरोपों के बीच सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होगी, यह देखना अब दिलचस्प होगा।
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