Jamshedpur Scam: बागबेड़ा में पानी घोटाला? मुखिया पर लगे गंभीर आरोप, कांग्रेस ने मांगी कार्रवाई!
जमशेदपुर के बागबेड़ा कॉलोनी पंचायत में अवैध जल कनेक्शन घोटाला! मुखिया पर लगे गंभीर आरोप, जानिए डीडीसी ने क्या कार्रवाई के आदेश दिए?

जमशेदपुर: बागबेड़ा कॉलोनी पंचायत में पानी की आपूर्ति पर बड़ा विवाद सामने आया है। पंचायत के मुखिया राजकुमार गौड़ पर अवैध कनेक्शन देकर पैसा वसूलने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले को लेकर बागबेड़ा प्रखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज नारायण यादव के नेतृत्व में डीडीसी अनिकेत सचान को एक मांग पत्र सौंपा गया।
इस पत्र में यह दावा किया गया कि बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी जलापूर्ति योजना केवल 1140 क्वार्टरों के लिए बनाई गई थी, लेकिन मुखिया ने इसे आसपास की बस्तियों तक फैलाकर पैसे की उगाही शुरू कर दी। अब सवाल उठता है—क्या इस पर कोई कड़ी कार्रवाई होगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
कैसे हुआ अवैध कनेक्शन का खुलासा?
स्थानीय निवासियों और कांग्रेस कमेटी के नेताओं का कहना है कि बस्ती के लोग खुद गवाह हैं कि मुखिया ने अवैध रूप से जल आपूर्ति का नेटवर्क फैला दिया है। इसके बदले हर महीने उनसे शुल्क भी वसूला जा रहा है। इसे लेकर कई लोगों ने लिखित शिकायत भी दी है।
इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति से मुखिया को पदमुक्त करने की मांग की है। साथ ही, जो लोग जलापूर्ति योजना के तहत नहीं आते हैं, उन्हें ‘बागबेड़ा वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना’ से जोड़े जाने की भी बात हुई।
इतिहास में भी हुए हैं ऐसे जल घोटाले!
अगर हम इतिहास देखें, तो पानी की आपूर्ति में भ्रष्टाचार नई बात नहीं है। प्राचीन रोम में भी जल आपूर्ति के साथ हेरफेर किया जाता था, जहां अमीर लोग विशेष पाइपलाइनों से अधिक पानी ले लेते थे।
भारत में भी जल आपूर्ति को लेकर कई विवाद होते रहे हैं। अतीत में मुंबई, दिल्ली, और कोलकाता जैसे शहरों में अवैध जल कनेक्शन और भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। यह दिखाता है कि जब भी पानी की आपूर्ति निजी हाथों में जाती है, वहां हेरफेर की संभावना बढ़ जाती है।
डीडीसी ने दिए त्वरित कार्रवाई के आदेश!
पूरे मामले पर चर्चा करने के बाद डीडीसी अनिकेत सचान ने तुरंत पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार और सुमित कुमार को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही, उन्होंने ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति को भंग कर नई कमेटी बनाने का आदेश दिया। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में प्रशासन कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और दोषियों पर क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।
अब आगे क्या? होगा पानी माफिया का सफाया?
अब सवाल यह उठता है कि क्या बागबेड़ा में जल माफिया का सफाया होगा, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा?
स्थानीय जनता इस कार्रवाई को लेकर उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जल आपूर्ति में पारदर्शिता आएगी या फिर नए नामों के साथ यही खेल जारी रहेगा?
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