Jamshedpur Honour: विजय दिवस पर स्कूलों में गूँजी शौर्य गाथा, 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर करने की कहानी से छात्र प्रेरित
जमशेदपुर के स्कूलों में 16 दिसंबर विजय दिवस पर विशेष आयोजन हुआ। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने विद्यार्थियों को 1971 के युद्धवीरों का 'विजय संदेश' पढ़कर सुनाया। जानिए कैसे 14 दिनों में भारत ने इतिहास रचकर 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
जमशेदपुर, 16 दिसंबर 2025 – आज का दिन देश के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी सेना के अदम्य साहस और अभूतपूर्व पराक्रम की गाथा है। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में पूर्व सैनिकों की सेवा परिषद ने सोमवार को शहर के विद्यालयों में 'युद्ध की कहानी युद्धवीरों की जुबानी' कार्यक्रम आयोजित करके विजय दिवस मनाया। इस दौरान छात्रों में देशभक्ति का जबरदस्त माहौल देखने को मिला।
विजय सन्देश और ऐतिहासिक आत्मसमर्पण
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, जमशेदपुर द्वारा विद्यार्थियों को सुनाए गए 'विजय सन्देश' में एक ओजपूर्ण कविता प्रस्तुत की गई:
"इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना,
रोशनी होगी, चिरागों को चलाए रखना
लहू देकर जिसकी हिफाजत की है हमने,
उस तिरंगे को भी दिल में बसाये रखना।"
लगभग 5 स्कूलों में पूर्व सैनिकों और प्राचार्यों ने यह विजय सन्देश पढ़कर सुनाया। बच्चों को बताया गया कि किस तरह पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। इस ऐतिहासिक घटना के परिणामस्वरूप विश्व के मानचित्र पर एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ।
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कार्यक्रम में शामिल सदस्य: आवासी नेताजी सुभाष गोलमुरी में राष्ट्र चेतना सुभाष कुमार, गोलमुरी में किला भारती श्री राजीव कुमार, संत जोएश हाई स्कूल और ओल्ड बीडीह में संतोष सिंह ने उपस्थित होकर 1971 की जीत को याद किया।
14 दिनों की लड़ाई: भूगोल बदलने वाला पराक्रम
वर्ष 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध हिन्दुस्तानी सेना की वीरता, शौर्य और रणनीतिक कुशलता की अविस्मरणीय कहानी है। मात्र 03 से 16 दिसंबर यानी सिर्फ 14 दिनों की यह लड़ाई विश्व युद्ध इतिहास का एक अभूतपूर्व अध्याय बन गई। हमारी सैन्य रणनीति और सैनिकों के मजबूत हौसलों की वजह से 93,000 से भी ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर किया गया।
युद्ध इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी देश की सेना ने अपने पराक्रम से सिर्फ इतिहास ही नहीं बनाया बल्कि दुनिया के मानचित्र पर एक नए देश बांग्लादेश का उदय कर भूगोल भी बदल दिया। संगठन के सदस्यों ने कहा कि हमें आज उन सभी वीर शहीदों को नमन करना चाहिए।
संगठन के सदस्यों ने शहर के 5 विद्यालयों में विजय संदेश पढ़कर सुनाया और शुभकामनाएं दीं। अन्य विद्यालयों में वहां के शिक्षकों ने यह संदेश बच्चों को सुनाया। 'विजय सन्देश' पढ़कर युवाओं में भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य को जीवित रखना ही मुख्य लक्ष्य है।
शहीद स्मृति स्थल गोलमुरी से 16 दिसंबर को अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य पदयात्रा निकालकर विजय दिवस के शौर्यमय अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। पूरा वातावरण 'भारतमाता की जय' और 'वीर शहीद अमर रहें' के उद्घोष से भर गया।
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