Vijay Diwas Tribute: जमशेदपुर विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का गरिमामयी सम्मान, शहीदों के शौर्य की गाथा सुनकर रोमांचित हुए सभी
जमशेदपुर में विजय दिवस पर 1971 के युद्धवीरों का सम्मान, भारत की ऐतिहासिक जीत और बांग्लादेश के निर्माण की कहानी। पूर्व सैनिकों द्वारा शहीद स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित, जानें शौर्य की प्रेरक गाथा।
16 दिसंबर 2024: "मन भी अर्पण, तन भी अर्पण, हे मातृभूमि, तेरे खातिर मेरा सारा जीवन है अर्पण।" यह शब्द 1971 के युद्धवीर हवलदार सत्येंद्र सिंह ने शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहे। शुक्रवार की शाम जमशेदपुर के गोलमुरी स्थित शहीद स्थल पर आयोजित एक शानदार कार्यक्रम में पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और 1971 के युद्ध के वीरों का सम्मान किया।
शहीदों को श्रद्धांजलि और शौर्य की गाथा
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद स्मारक पर 1971 के युद्धवीरों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई। इस दौरान 'वीर शहीद अमर रहे' और 'भारत माता की जय' के नारों से माहौल गूंज उठा। ये नारे केवल विजय दिवस के सम्मान में नहीं थे, बल्कि उन शूरवीरों के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक थे जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान न्योछावर कर दी।
संगठन के सदस्यों ने इस अवसर पर 'संगठन गीत' भी प्रस्तुत किया, जिसमें देशभक्ति और वीरता की भावना को प्रदर्शित किया गया। भारतीय सेना के वीरों को सम्मानित करने के साथ ही अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने यह भी कहा कि सैनिक सम्मान संगठन की प्राणिता है।
1971 का युद्ध: एक ऐतिहासिक विजय
1971 का युद्ध भारत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को महज 13 दिनों में आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था। 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना की ताकत और रणनीति के सामने पाकिस्तान के सैनिकों ने हथियार डाल दिए थे। इस युद्ध ने न केवल पाकिस्तान को पराजित किया बल्कि बांग्लादेश के निर्माण का रास्ता भी खोला।
विजय दिवस: राष्ट्रप्रेम की भावना का उत्सव
विजय दिवस का यह आयोजन केवल एक युद्ध की जीत का उत्सव नहीं था, बल्कि यह उन शहीदों के शौर्य और बलिदान को याद करने का अवसर था जिन्होंने भारत के लिए अपार संघर्ष किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लौहनगरी के युवाओं में राष्ट्रप्रेम का ज्वार प्रवाहित करना था, ताकि वे अपने वीर सैनिकों के शौर्य से प्रेरित हों और देश सेवा की भावना से ओतप्रोत हों।
कार्यक्रम के दौरान 1971 के युद्धवीरों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। इन वीरों ने मौके पर उपस्थित सभी पूर्व सैनिकों और नागरिकों को बांग्लादेश के युद्ध की ऐतिहासिक विजय की दास्तान सुनाई। इस मौके पर नए सदस्य, भारतीय थल सेना से सेवानिवृत निरंजन सिंह को भी पुष्पगुच्छ और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति
कार्यक्रम में संगठन के संस्थापक वरुण, जिला अध्यक्ष विनय यादव, जिला महामंत्री जितेंद्र सिंह, अवधेश जी, सुखविंद्र सिंह, एस. के. सिंह, मनोज सिंह, डी. एन. सिंह, उमेश शर्मा, राजीव कुमार, सत्येंद्र सिंह, सतेंद्र, गौतम लाल, शशि भूषण, शेखर सुमन, हरिसैंडिल, पंकज, धीरज, एच. एम. भारती, दीपक शर्मा, निरंजन कुमार, वीरेंद्र सिंह, विनेश, अजीत सहित अन्य पूर्व सैनिक उपस्थित थे।
धन्यवाद ज्ञापन और कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के समापन में सार्जेंट राजीव और रमेश ने धन्यवाद ज्ञापन किया और इस आयोजन के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर सभी का आभार व्यक्त किया।
1971 का युद्ध भारत के लिए गौरवमयी इतिहास की मिसाल है। यह विजय दिवस न केवल सैनिकों की बहादुरी को सम्मानित करता है बल्कि हमारे युवाओं में वीरता और राष्ट्रप्रेम की भावना भी जगाता है। विजय दिवस का यह आयोजन यह साबित करता है कि भारतीय सेना की ताकत और शौर्य को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता।
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