Jamshedpur Training: डिजिटल निबंधन के लिए प्रगणकों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
जमशेदपुर में जिला दण्डाधिकारी के निर्देश पर जन्म और मृत्यु निबंधन की प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन। जानिए पूरी खबर।
जमशेदपुर में जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त श्री अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार न्यादर्श निबंधन प्रणाली के अंतर्गत जिले के अंशकालिक प्रगणकों को एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
यह प्रशिक्षण जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें उप निदेशक, जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड, श्रीमती पर्णलेखा दास गुप्ता, सांख्यिकीय अन्वेषक ग्रेड I श्री विवेक कुमार और ग्रेड II श्री बीरेन्द्र कुमार गुप्ता ने प्रगणकों को जन्म एवं मृत्यु निबंधन की डिजिटल प्रक्रिया और मोबाइल ऐप के माध्यम से रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया समझाई।
प्रशिक्षण का उद्देश्य क्या था?
इस विशेष प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य न्यादर्श निबंधन प्रणाली (Sample Registration System) को अधिक डिजिटल और सुव्यवस्थित बनाना था।
- जन्म और मृत्यु की सही और समय पर रिपोर्टिंग।
- मोबाइल ऐप के माध्यम से तेजी और सटीक डेटा रिपोर्टिंग।
- प्रगणकों को डिजिटल तकनीक से अवगत कराना।
जन्म और मृत्यु निबंधन क्यों है जरूरी?
जन्म और मृत्यु निबंधन का इतिहास भारत में 1969 में लागू हुए नागरिक पंजीकरण अधिनियम से जुड़ा है।
- यह अधिनियम हर जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है।
- सरकारी योजनाओं, आधिकारिक रिकॉर्ड, और जनसंख्या नियंत्रण में इसकी अहम भूमिका है।
- डिजिटल निबंधन प्रणाली लागू होने के बाद से रिपोर्टिंग अधिक तेजी और पारदर्शी हो गई है।
प्रशिक्षण में क्या बताया गया?
जिला सांख्यिकी पदाधिकारी श्री सुदीप्त राज ने बताया कि प्रगणकों को:
- एसआरएस ऐप पर ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रक्रिया।
- जिम्मेदारियों और रिपोर्टिंग समयसीमा के बारे में जागरूक किया गया।
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के दिशानिर्देश समझाए गए।
प्रशिक्षण में मौजूद अधिकारी:
- सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी श्रीमती बिनीता मिंज
- सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी श्री राजेश सोरेंग
- जिला सांख्यिकी कार्यालय के अन्य कर्मचारी
डिजिटल निबंधन के फायदे:
- तेजी और सटीकता: डेटा फीडिंग में गलतियों की संभावना कम होती है।
- पेपरलेस प्रक्रिया: कागजी कार्यवाही से मुक्ति।
- सरकारी योजनाओं में मदद: जनसंख्या आंकड़ों के सही उपयोग में सहायक।
- आसान एक्सेस: कभी भी, कहीं भी डेटा एक्सेस की सुविधा।
भारत में निबंधन प्रणाली का इतिहास:
भारत में जनगणना और निबंधन की प्रक्रिया 1872 में शुरू हुई थी।
- पहले यह प्रक्रिया हस्तलिखित थी, जिससे डेटा संग्रह में समस्याएं आती थीं।
- 1969 में नागरिक पंजीकरण अधिनियम लागू होने के बाद आधिकारिक रिकॉर्डिंग को आवश्यक बनाया गया।
- अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के आने से यह प्रक्रिया और भी आसान और तेज़ हो गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
जिला दण्डाधिकारी श्री अनन्य मित्तल ने कहा:
"डिजिटल निबंधन प्रणाली के माध्यम से जन्म और मृत्यु का सही रिकॉर्ड रखना विकास योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और गति लाने के लिए आवश्यक है।"
जमशेदपुर में आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन की ओर एक बड़ा कदम है। जन्म और मृत्यु निबंधन को डिजिटल और सटीक बनाने की दिशा में यह प्रयास काफी महत्वपूर्ण है। इससे डाटा प्रबंधन और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी।
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