Jamshedpur Shrimad Bhagwat Katha : झूमे श्रद्धालु, नीरज मिश्रा ने सुनाई अमर कथा, शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग से भक्तिमय हुई लौहनगरी
जमशेदपुर में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक नीरज मिश्रा ने शिव-पार्वती विवाह और वराह अवतार के उन रहस्यों को उजागर किया है जिन्हें सुनकर भक्त झूमने पर मजबूर हो गए। साधना से अमृत प्राप्ति और पिता-पुत्र के अटूट संबंधों की पूरी आध्यात्मिक गाथा यहाँ दी गई है वरना आप भी मोक्ष के इस दुर्लभ मार्ग और अमर कथा के महात्म्य को जानने से चूक जाएंगे।
जमशेदपुर, 23 दिसंबर 2025 – लौहनगरी जमशेदपुर इन दिनों भक्ति के सागर में गोते लगा रही है। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा कि पूरा माहौल 'हरि बोल' और 'जय शिव' के जयकारों से गूंज उठा। प्रख्यात कथावाचक नीरज मिश्रा ने जब व्यासपीठ से भागवत की उत्पत्ति और उसके महात्म्य का वर्णन शुरू किया, तो पंडाल में मौजूद हर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गया। भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की इस त्रिवेणी में आज शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।
इतिहास: भागवत और शिव पुराण का प्राचीन संगम
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से श्रीमद्भागवत पुराण को सभी पुराणों का तिलक माना जाता है। 5000 साल से भी पहले महर्षि वेदव्यास जी ने जब अशांत मन से सरस्वती नदी के तट पर चिंतन किया, तब नारद मुनि के उपदेश से इस महापुराण की रचना हुई। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में भागवत कथा का आयोजन यहाँ की उस सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है, जहाँ व्यस्त जीवन के बीच लोग 'अमृत्व' की खोज में जुटते हैं। आज कथा में वर्णित शिव अमर कथा का प्रसंग उसी प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, जिसे स्वयं महादेव ने माता पार्वती को सुनाया था।
शिव-पार्वती विवाह: जब कैलाश से उतरी खुशियाँ
दूसरे दिन की कथा का मुख्य आकर्षण शिव-पार्वती विवाह प्रसंग रहा।
-
भक्तिमय माहौल: भजनों की धुनों पर श्रद्धालु इस कदर झूमने लगे कि पंडाल ही कैलाश पर्वत जैसा प्रतीत होने लगा।
-
साधना का महत्व: नीरज मिश्रा जी ने बताया कि साधना के क्षेत्र में जिसने भी अपना ध्यान प्रभु चरणों में लगाया, उसी ने वास्तव में अमृत्व को प्राप्त किया।
-
अमर कथा: उन्होंने उस गुफा का वर्णन किया जहाँ महादेव ने पार्वती जी को अमरत्व का ज्ञान दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रभु के घर में देर है, अंधेर नहीं; बस भक्त का विश्वास अडिग होना चाहिए।
वराह अवतार और वेदों का ज्ञान
कथा के दौरान नीरज मिश्रा ने भगवान विष्णु के वराह अवतार की कथा का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया।
-
वेदों का वर्णन: उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के महत्व को समझाते हुए बताया कि ये चार वेद हमारे जीवन के चार स्तंभ हैं।
-
ज्ञान की परीक्षा: उन्होंने एक अद्भुत उदाहरण दिया कि यदि हम परीक्षा में बैठते हैं, तो हमें ज्ञान तो जरूर प्राप्त होता है। इसी तरह भागवत की परीक्षा (कथा सुनना) हमें संसार रूपी भवसागर से पार उतारती है।
-
पिता-पुत्र संबंध: कथावाचक ने वर्तमान पीढ़ी को संदेश देते हुए पिता और पुत्र के संबंधों की पवित्रता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि परिवार में संस्कारों की नींव ही सुखी समाज का आधार है।
कथा के दूसरे दिन के मुख्य प्रसंग (Highlights)
| प्रसंग | आध्यात्मिक सार |
| भागवत उत्पत्ति | व्यास जी का वैराग्य और नारद उपदेश |
| वराह अवतार | अधर्म का नाश और पृथ्वी का उद्धार |
| शिव विवाह | त्याग और समर्पण की पराकाष्ठा |
| साधना सूत्र | ध्यान से ही मोक्ष संभव है |
| अमरत्व | सम्मुख बैठकर कथा सुनने का फल |
साधना और श्रवण: जीवन बदलने वाले मंत्र
नीरज मिश्रा जी ने भक्तों से अपील की कि कथा हमेशा सम्मुख बैठकर (सामने बैठकर) सुननी चाहिए, क्योंकि एकाग्रता ही भगवान से मिलन का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने महादेव के कैलाश वास और व्यास जी के जीवन चरित्र के माध्यम से यह समझाया कि सादगी और भक्ति ही परम सुख है। कथा के दौरान बजने वाले भजनों ने भक्तों को इतना ओत-प्रोत कर दिया कि हर कोई भक्ति के रस में सराबोर नजर आया।
भक्ति के रंग में रंगी जमशेदपुर की जनता
भागवत कथा का दूसरा दिन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागरण का केंद्र बना। शिव पूजा के महात्म्य और साधना के महत्व को समझकर श्रद्धालु एक नई ऊर्जा के साथ घर लौटे। जमशेदपुर की गलियों में अब कल होने वाले कृष्ण जन्मोत्सव और आगे के प्रसंगों को लेकर उत्सुकता चरम पर है।
What's Your Reaction?


