Jamshedpur Demand: स्कूलों में पानी की भारी किल्लत, डीसी को सौंपा गया ज्ञापन!
जमशेदपुर के उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीमाटी और नव प्राथमिक विद्यालय महानंद बस्ती में पानी संकट गहराया। करनदीप सिंह ने डीसी को ज्ञापन सौंपकर जुस्को कनेक्शन की मांग की। जानें पूरी खबर!

जमशेदपुर: क्या आप सोच सकते हैं कि जहां घरों तक साफ पानी की सप्लाई हो रही है, वहीं स्कूलों में बच्चे बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं? उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीमाटी और नव प्राथमिक विद्यालय महानंद बस्ती में कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है, जिससे वे आस-पड़ोस के घरों पर निर्भर हैं। इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय समाजसेवी करनदीप सिंह ने जिले के उपायुक्त (डीसी) को ज्ञापन सौंपा और तत्काल इस विषय में संज्ञान लेने की मांग की।
स्कूलों में पानी नहीं, बच्चे हो रहे परेशान!
करनदीप सिंह ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया कि जमशेदपुर में "जुस्को" (JUSCO) द्वारा पानी की आपूर्ति कई इलाकों में सुचारू रूप से की जा रही है, लेकिन इन स्कूलों को अब तक कनेक्शन नहीं दिया गया। यह बेहद चिंता का विषय है क्योंकि स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता हर छात्र का मौलिक अधिकार है।
आसपास के घरों में जुस्को का कनेक्शन उपलब्ध है, लेकिन स्कूलों में नहीं!
बच्चे मजबूरी में दूसरों के घरों से पानी लेने पर विवश हैं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता के दृष्टिकोण से यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।
शिक्षा विभाग पर उठे सवाल!
करनदीप सिंह ने शिक्षा विभाग पर भी सवाल उठाए और कहा कि स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं देना विभाग की ज़िम्मेदारी है। यदि घरों को पानी मिल सकता है, तो स्कूलों को क्यों नहीं?
इस संदर्भ में उन्होंने जिला प्रशासन और अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) को ज्ञापन सौंपते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द से जल्द स्कूलों में जुस्को का कनेक्शन नहीं दिया गया, तो यह छात्रों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
स्कूलों में पानी संकट – ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य!
अगर हम शिक्षा व्यवस्था के इतिहास पर नज़र डालें, तो स्वच्छ पेयजल हमेशा से स्कूलों में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता रही है। 1950 में जब भारत में शिक्षा का विस्तार हो रहा था, तब स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था भी एक अहम मुद्दा था। धीरे-धीरे सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया, लेकिन आज भी कई जगहों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 40% सरकारी स्कूलों में अभी भी स्वच्छ पानी की पूर्ण व्यवस्था नहीं है। इसका सीधा असर छात्रों की उपस्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर पर पड़ता है।
क्यों जरूरी है तुरंत समाधान?
शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता से स्कूलों में कई समस्याएं हो सकती हैं:
बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
शुद्ध पानी के अभाव में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
छात्रों की उपस्थिति कम हो सकती है, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होगी।
स्कूलों की स्वच्छता और समग्र विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
प्रशासन से क्या हैं उम्मीदें?
अब सवाल उठता है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर क्या कदम उठाएगा?
क्या जल्द ही जुस्को कनेक्शन दिया जाएगा?
क्या शिक्षा विभाग इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगा?
क्या प्रशासन इस समस्या को प्राथमिकता देकर स्कूलों में जल संकट दूर करेगा?
करनदीप सिंह ने जिला प्रशासन से यह अनुरोध किया है कि इस मुद्दे को तत्काल हल किया जाए, ताकि छात्रों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके और उनकी शिक्षा बिना किसी बाधा के जारी रहे।
उत्क्रमित उच्च विद्यालय कालीमाटी और नव प्राथमिक विद्यालय महानंद बस्ती के बच्चों को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा, यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। पानी हर नागरिक का अधिकार है, और स्कूलों में इसकी उपलब्धता सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
क्या प्रशासन जल्द इस समस्या का समाधान करेगा? क्या शिक्षा विभाग इस पर गंभीरता दिखाएगा? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? नीचे कमेंट में अपनी राय बताएं!
What's Your Reaction?






