Jamshedpur: CSIR-NML का प्लेटिनम जयंती समारोह, भविष्य के लिए नई पहल
CSIR-NML ने अपने प्लेटिनम जयंती स्थापना दिवस पर नए मैग्नीशियम पायलट प्लांट की शुरुआत की। जानें इस ऐतिहासिक समारोह में क्या हुआ और कैसे यह तकनीकी क्षेत्र में नई दिशा देगा।
जमशेदपुर: भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर सामने आया, जब सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML) ने 26 नवंबर 2024 को अपनी प्लेटिनम जयंती स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी ने जमशेदपुर के नीलडीह में मैग्नीशियम पायलट प्लांट का उद्घाटन किया। यह प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण और भविष्य में धातु उत्पादन क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज करने वाला है।
सीएसआईआर-एनएमएल का इतिहास और योगदान
1950 में स्थापित सीएसआईआर-एनएमएल ने देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में अपने योगदान से महत्वपूर्ण पहचान बनाई है। सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने अपने स्वागत भाषण में संस्थान के 70 से अधिक वर्षों के योगदान को याद किया और बताया कि यह लैब देश में धातुकर्म क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बन चुकी है।
नए मैग्नीशियम पायलट प्लांट की नींव
समारोह के दौरान, डॉ. एन. कलैसेल्वी ने मैग्नीशियम धातु के उत्पादन के लिए एक पायलट प्लांट की आधारशिला रखी। यह परियोजना भारत में धातु उत्पादन के क्षेत्र में स्वदेशी क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। डॉ. कलैसेल्वी ने कहा, "यह पहल वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगी और हम तकनीकी विकास के जरिए अपनी स्थिति को और मजबूत करेंगे।"
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नया अध्याय
इस विशेष मौके पर, सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने संस्थान के वैज्ञानिकों की मेहनत और समर्पण को सराहा। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-एनएमएल ने न केवल धातु उद्योग, बल्कि नई प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान में भी भारत को नेतृत्व प्रदान किया है।
समारोह में पुरस्कारों का वितरण
प्लेटिनम जयंती समारोह के दौरान विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार भी दिए गए। इनमें प्रो. वी.ए. अल्टेकर पुरस्कार, डॉ. बी.आर. निझावन पुरस्कार, और प्रो. शिलोभद्र बनर्जी पुरस्कार जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कार शामिल थे।
डॉ. बी.आर. निझावन पुरस्कार इस वर्ष सुश्री निशा गुप्ता और डॉ. पल्लब भट्टाचार्य को उनके शोध पत्र "माइक्रोवेव-प्लाज्मा प्रेरित एक-चरण संश्लेषण Ni(PO3)2 नैनोस्फीयर-लोडेड बायो-वेस्ट व्युत्पन्न N, P को-डॉप्ड कार्बन फॉर एन एसिमेट्रिक सुपरकैपेसिटर विद लॉन्ग लाइफ" के लिए दिया गया।
इसके अलावा, सर्वश्रेष्ठ इन-हाउस परियोजना के लिए डॉ. कृष्ण कुमार और उनकी टीम को प्रो. शिलोभद्र बनर्जी पुरस्कार से नवाजा गया, जिन्होंने "मैग्नीशियम धातु उत्पादन के लिए एनएमएल की रिटॉर्ट प्रौद्योगिकी" पर काम किया।
शोधकर्ताओं और कर्मचारियों को सम्मान
कार्यक्रम में सीएसआईआर-एनएमएल के कर्मचारियों और उनके बच्चों को भी सम्मानित किया गया। पुरस्कारों में कक्षा 10वीं और 12वीं में 90% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति और प्रमाणपत्र दिए गए। इस पहल से यह साबित होता है कि सीएसआईआर-एनएमएल न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम करता है, बल्कि वह अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की प्रगति पर भी ध्यान देता है।
भविष्य के लिए नई उम्मीदें
सीएसआईआर-एनएमएल के प्लेटिनम जयंती समारोह में डॉ. एन. कलैसेल्वी ने भारतीय बाजार में नई संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अब वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हो गया है और हमें अपनी तकनीकी क्षमता को वैश्विक मानकों के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है। इस दिशा में वैज्ञानिकों के लिए अपार संभावनाएं हैं, और आने वाले समय में सीएसआईआर-एनएमएल भारत को धातुकर्म और विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नई दिशा
सीएसआईआर-एनएमएल की प्लेटिनम जयंती समारोह एक ऐतिहासिक अवसर था, जो संस्थान के योगदान और वैज्ञानिक प्रगति को मान्यता देने के साथ-साथ भविष्य की नई तकनीकी पहल की शुरुआत भी थी। अब, भारत में धातु उत्पादन और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में क्रांति लाने के लिए सीएसआईआर-एनएमएल ने एक मजबूत कदम बढ़ाया है, और यह देश के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
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