Ranchi: ED समन पर कोर्ट का बड़ा फैसला, हेमंत सोरेन को झटका!

रांची एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के समन की अवहेलना करने के मामले में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया। जानें क्या है पूरा मामला और इससे जुड़ी राजनीति के बड़े संकेत।

Nov 26, 2024 - 18:23
 0
Ranchi: ED समन पर कोर्ट का बड़ा फैसला, हेमंत सोरेन को झटका!
Ranchi: ED समन पर कोर्ट का बड़ा फैसला, हेमंत सोरेन को झटका!

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के समन को नजरअंदाज करने के मामले में बड़ा झटका लगा है। रांची एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के समन का उल्लंघन करने के मामले में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से छूट देने की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने उन्हें 4 दिसंबर 2024 को मामले में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है, जिससे मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की तैयारियों में एक बार फिर रुकावट आ गई है।

ईडी समन का मामला: इतिहास और जटिलताएँ

यह मामला झारखंड के बड़गाईं अंचल से संबंधित एक बड़े जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 2023 में कई समन भेजे थे। ईडी के अनुसार, हेमंत सोरेन को जमीन घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए 10 समन भेजे गए थे, जिनमें से केवल दो समन पर वह हाजिर हुए थे। बाकी समनों पर उनकी अनुपस्थिति को लेकर प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) और आइपीसी की धारा 174 के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना किया जा रहा है।

इस मामले में सीजेएम कोर्ट में 19 फरवरी 2024 को पहली शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके बाद मामला एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में स्थानांतरित किया गया। 11 नवंबर 2024 को हुई सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की थीं, और कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट का बड़ा फैसला: हेमंत सोरेन को शपथ ग्रहण से पहले बड़ा झटका

कोर्ट ने 25 नवंबर को फैसला सुनाते हुए हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी और उन्हें 4 दिसंबर 2024 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस आदेश में यह भी माना कि सीएम सोरेन ने ईडी द्वारा भेजे गए समन का उल्लंघन किया है, और उनके द्वारा भेजे गए समन के जवाब में हाजिरी को नजरअंदाज करना गैरकानूनी है।

यह फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब वह शपथ ग्रहण की तैयारी में लगे हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है और सत्तारूढ़ दल को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

ईडी की कार्रवाई और समनों का सिलसिला

हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा सबसे पहले 14 अगस्त 2023 को समन भेजा गया था। इसके बाद उन्हें लगातार समन भेजे गए, जिनमें 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, और 29 दिसंबर 2023 के समन भी शामिल थे। फिर 2024 में भी उन्हें 13 जनवरी, 22 जनवरी और 27 जनवरी को समन भेजे गए थे।

इन समनों के बावजूद, सीएम सोरेन केवल 31 जनवरी 2024 को एक समन पर पेश हुए थे, और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। ईडी की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि सोरेन ने जांच में सहयोग नहीं किया और समन का उल्लंघन किया, जो कि पीएमएलए और आइपीसी धारा 174 के तहत अपराध है।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में क्या होगा असर?

इस पूरे घटनाक्रम का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य भी महत्वपूर्ण है। झारखंड में हेमंत सोरेन की झामुमो सरकार को लेकर विपक्षी दलों ने पहले ही कई आरोप लगाए थे, और अब यह फैसला राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। सोरेन के समन पर पेश न होने के मामले में कोर्ट का फैसला विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

राज्य में इस समय मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण की तैयारियाँ हो रही हैं, लेकिन इस फैसले ने सोरेन के राजनीतिक भविष्य को लेकर नई अनिश्चितताएँ पैदा कर दी हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि यह मामला आगे जाकर राज्य की राजनीति में और भी जटिलताएँ उत्पन्न कर सकता है, खासकर तब जब कांग्रेस और झामुमो के गठबंधन को लेकर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है।

क्या होगा हेमंत सोरेन का अगला कदम?

कोर्ट के इस फैसले ने हेमंत सोरेन के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। अब 4 दिसंबर 2024 को उन्हें कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा, जिससे उनकी शपथ ग्रहण और आगामी राजनीतिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है। यह मामला आगामी दिनों में झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ले सकता है, और इसके परिणाम राज्य के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।