जमशेदपुर में 150 घर तोड़ने के नोटिस पर एनजीटी में सुनवाई, प्रशासन को लगा फटकार
जमशेदपुर में 150 घर तोड़ने के नोटिस पर एनजीटी में सुनवाई हुई, जिसमें प्रशासन को फटकार लगाई गई। जानें आगे की प्रक्रिया और तारीखें।
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जमशेदपुर, 2 सितंबर: जमशेदपुर के भुईयांडीह के इन्द्रानगर-कल्याणनगर बस्तियों के 150 घरों को तोड़ने के संबंध में जारी नोटिस के खिलाफ बस्तीवासियों द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की कोलकाता बेंच में दायर आवेदन पर सोमवार को सुनवाई हुई। बस्तीवासियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने बेंच के समक्ष दलील दी कि पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत रिपोर्ट का दूसरा अनुलग्नक पठनीय ही नहीं है।
इस अनुलग्नक में प्रशासन का दावा है कि उन घरों के नाम दिए गए हैं जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है। उपाध्याय ने कहा कि जब यह दस्तावेज़ पढ़ने लायक ही नहीं है, तो इसे कैसे विचाराधीन लिया जा सकता है? इस पर एनजीटी ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त का शपथ पत्र देखा और सरकारी वकील को फटकार लगाई कि न्यायालय में पेश किए जाने वाले सभी दस्तावेज़ पठनीय और स्पष्ट होने चाहिए।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को 21 अक्टूबर तक पुनः शपथ पत्र दायर करना होगा। इसके साथ ही झारखंड सरकार के मुख्य सचिव और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भी 21 अक्टूबर तक अपने-अपने शपथ पत्र दायर करने के लिए समय दिया गया है।
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने एनजीटी के इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि जिला प्रशासन को 21 अक्टूबर तक बस्तीवासियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वह इस मामले में उपायुक्त से मिलकर भी चर्चा करेंगे।
राय ने कहा कि एनजीटी के पिछले आदेश में साफ-साफ कहा गया था कि यदि किसी व्यक्ति ने नियमों का उल्लंघन किया है, तो उसकी जानकारी प्रशासन को दी जाए ताकि उसका पक्ष भी सुना जा सके। लेकिन, इसके बावजूद जिला प्रशासन ने बस्तीवासियों को घर तोड़ने के संबंध में नोटिस जारी किया है, जो कि अनुचित है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए शपथ पत्र के बाद एनजीटी में बस्तीवासियों का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा।
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