Jamshedpur Inspection Shock: जमशेदपुर में मंत्री के औचक निरीक्षण से मचा हड़कंप – मरीज ज़मीन पर, अस्पताल में संसाधनों की भारी किल्लत!
जमशेदपुर में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के औचक निरीक्षण से एमजीएम अस्पताल की दुर्दशा उजागर, इमरजेंसी में मरीज ज़मीन पर मिले, मंत्री ने जताई नाराजगी, अधीक्षक को फटकार।

झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी जब रविवार को बिना पूर्व सूचना के एमजीएम अस्पताल पहुंच गए, तो किसी को भनक तक नहीं लगी कि एक बड़ा भूचाल आने वाला है।
औचक निरीक्षण की शुरुआत अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से हुई, जहां जो देखा गया उसने खुद मंत्री को भी हिला कर रख दिया। मरीज बेड की जगह फर्श पर पड़े थे, कुछ की हालत बेहद नाजुक थी और उनके आसपास कोई व्यवस्थित चिकित्सा सुविधा तक मौजूद नहीं थी।
“यह अस्पताल है या उपेक्षा का अड्डा?” – मंत्री का तीखा सवाल
डॉ. अंसारी ने निरीक्षण के दौरान सख्त लहजे में कहा – “यह कोई जनरल हॉल नहीं, एक सरकारी अस्पताल है, जहां लोगों की ज़िंदगियां जुड़ी होती हैं। लेकिन यहां जो व्यवस्था दिख रही है, वह न केवल लापरवाही है बल्कि मानवता के खिलाफ है।”
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में अधीक्षक को चेतावनी दी कि यदि जल्दी सुधार नहीं हुआ तो सख्त कार्रवाई तय है।
इतिहास दोहराया – पर सुधार नहीं हुआ
एमजीएम अस्पताल की स्थिति पर पहले भी कई बार सवाल उठे हैं। ये अस्पताल कभी जमशेदपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एकमात्र भरोसे का केंद्र हुआ करता था। लेकिन समय के साथ यह व्यवस्था और गुणवत्ता दोनों में पिछड़ गया।
कभी डॉक्टरों की कमी, तो कभी दवाओं की अनुपलब्धता – और अब तो हालात ऐसे हैं कि मरीजों को ज़मीन पर लेटना पड़ रहा है।
मंत्री ने मांगी रिपोर्ट – बोले, ‘अब बहाने नहीं चलेंगे’
स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रबंधन से तत्काल डॉक्टर, नर्स, उपकरण और अन्य संसाधनों की विस्तृत सूची मांगी है। उन्होंने निर्देश दिए कि जो कुछ भी चाहिए, उसका स्पष्ट ब्योरा दिया जाए ताकि सरकार आवश्यक संसाधन मुहैया करा सके। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सरकार जो संसाधन पहले से दे रही है, उनका सही उपयोग नहीं हो रहा।
नए भवन का मुद्दा – निर्माण में देरी पर भड़के मंत्री
एमजीएम अस्पताल के नए भवन का निर्माण वर्षों से अधूरा पड़ा है। इस पर भी डॉ. अंसारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि निर्माण में देरी कर रही एजेंसी पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ निर्देश दिए कि जितनी खामियां हैं, उन्हें सुधारा जाए और अस्पताल को जल्द से जल्द नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाए।
दवाओं की स्थिति भी दयनीय – निर्देश दिए गए बदलाव के
निरीक्षण के दौरान दवाओं की जांच भी की गई। खास तौर पर डेक्सोना दवा के मामले में मंत्री ने नाखुशी जताई और इसे बदलने तथा नई दवाओं की खरीद के निर्देश दिए। इस दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ. मंधान समेत सभी विभागाध्यक्ष भी मौके पर मौजूद थे, लेकिन किसी के पास मंत्री के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं था।
निरीक्षण के बाद मची अफरा-तफरी – अब क्या होगा सुधार?
स्वास्थ्य मंत्री के इस औचक दौरे ने अस्पताल प्रशासन को पूरी तरह हिलाकर रख दिया है। कर्मचारी सकते में हैं और प्रशासनिक स्तर पर जल्दबाजी में बदलाव की बातें हो रही हैं।
लेकिन सवाल अब भी वही है – क्या यह बदलाव सिर्फ कागजों तक रहेगा या ज़मीनी स्तर पर भी दिखेगा?
एमजीएम जैसे बड़े सरकारी अस्पताल में अगर मरीज ज़मीन पर मिलने लगें, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, एक गहरी प्रशासनिक विफलता है। स्वास्थ्य मंत्री की फटकार और जांच के आदेश अगर गंभीरता से लिए जाते हैं, तो उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में व्यवस्था सुधरेगी।
लेकिन अगर इतिहास की तरह यह निरीक्षण भी केवल मीडिया की सुर्खियां बनकर रह गया, तो जनता का भरोसा फिर एक बार टूट जाएगा।
अब देखना यह है कि जमशेदपुर की ये सच्चाई सुधार की कहानी बनती है या सिर्फ एक और दिखावटी दौरा साबित होती है।
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