जमशेदपुर: Gangster Bail पर हाईकोर्ट में सुनवाई। झारखंड हाईकोर्ट में गैंगस्टर अखिलेश सिंह के करीबी कन्हैया सिंह और सुधीर दुबे की जमानत रद्द करने को लेकर मामला गर्माया हुआ है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक अहम आदेश का हवाला देकर दोनों की जमानत रद्द करने की मांग की है। इसके पीछे दलील दी गई है कि जमानत मिलने के बाद दोनों के खिलाफ नए आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं।
कैसे बढ़ी परेशानी?
राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, जमानत मिलने के बाद सुधीर दुबे और कन्हैया सिंह के खिलाफ क्रमशः पांच और आठ नए मामले दर्ज हुए हैं। इन मामलों की सुनवाई अभी लंबित है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि जमानत के बावजूद दोनों अपराध की गतिविधियों में संलिप्त हैं, जो समाज के लिए खतरनाक है।
इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर जमानत के बाद भी आरोपी अपराध में शामिल रहते हैं, तो उनकी जमानत रद्द की जानी चाहिए।
2019 में मिली थी जमानत
गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट ने 2019 में सुधीर दुबे और कन्हैया सिंह को जमानत दी थी। उस समय इन पर गंभीर आपराधिक मामलों के बावजूद जमानत मिली, लेकिन इसके बाद उनके खिलाफ नए मामले सामने आने लगे।
कन्हैया सिंह और सुधीर दुबे, दोनों ही गैंगस्टर अखिलेश सिंह के करीबी माने जाते हैं। अखिलेश सिंह का नाम जमशेदपुर और आसपास के इलाकों में आपराधिक गतिविधियों में प्रमुखता से सामने आता रहा है। इस गिरोह पर जमीन कब्जा, उगाही, और हिंसा जैसे कई आरोप हैं।
अखिलेश सिंह गैंग का इतिहास
जमशेदपुर और झारखंड के आसपास के इलाके में अखिलेश सिंह का नाम अपराध की दुनिया में बड़ा है। 1990 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले अखिलेश सिंह ने अपनी अलग पहचान बनाई। इस गिरोह का प्रभाव इतना था कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी कई बार उनके खिलाफ कार्रवाई से बचते नजर आए।
उनके गिरोह से जुड़े सुधीर दुबे और कन्हैया सिंह पर हत्या, लूट, और रंगदारी जैसे गंभीर आरोप हैं। हालांकि, 2019 में जमानत मिलने के बाद यह उम्मीद थी कि दोनों सुधर जाएंगे, लेकिन इसके विपरीत उनके खिलाफ अपराधों की संख्या बढ़ती चली गई।
हाईकोर्ट में अगली कार्रवाई
इस मामले में, झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति आनंद सेन कर रहे हैं, ने सुधीर दुबे और कन्हैया सिंह को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। दोनों ने समय की मांग करते हुए कहा है कि उन्हें सरकार के शपथ पत्र का अध्ययन करने का अवसर मिलना चाहिए।
राज्य सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है और कोर्ट से आग्रह किया है कि अपराध के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए जमानत रद्द की जाए। हाईकोर्ट में दोनों पक्षों के बीच इस मामले को लेकर जोरदार बहस की संभावना है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार अपने पक्ष को मजबूती से रखती है और यह साबित कर पाती है कि जमानत के बाद भी अपराध जारी हैं, तो कोर्ट जमानत रद्द कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश भी सरकार के पक्ष को मजबूत कर रहे हैं।
क्या होगा आगे?
आने वाले हफ्तों में इस मामले की सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं। अगर