Jamshedpur Elephant Terror: क्या हाथियों के इस उत्पात से गांव वाले रह पाएंगे सुरक्षित?

गालूडीह में हाथियों का आतंक, ग्रामीण परेशान! जानिए किस तरह वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयास और हाथियों से सुरक्षा को लेकर क्या हैं हालात।

Jan 7, 2025 - 11:03
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Jamshedpur Elephant Terror: क्या हाथियों के इस उत्पात से गांव वाले रह पाएंगे सुरक्षित?
Jamshedpur Elephant Terror: क्या हाथियों के इस उत्पात से गांव वाले रह पाएंगे सुरक्षित?

झारखंड के जमशेदपुर जिले के गालूडीह थाना क्षेत्र में हाथियों का झुंड पिछले दो दिनों से आतंक मचाए हुए है। यह हाथियों का झुंड गालूडीह के बाघुड़िया पंचायत के विभिन्न गांवों में विचरण कर रहा है, जिससे स्थानीय लोग खासे परेशान हैं।

सोमवार को दस हाथियों के गोटा पाथर नाला के ऊपर जंगल में मौजूद होने की सूचना सामने आई थी। इस घटना के बाद आसपास के गांवों के लोग डरे हुए हैं, और रातभर जागकर अपनी सुरक्षा की कोशिश कर रहे हैं। डुमकाकोचा, मिर्गीटांड़, नरसिंहपुर, इंटामाड़ो, माचाबेड़ा जैसे गांवों के लोग डर के साए में जी रहे हैं।

गांवों में डर का माहौल:
हाथियों के डर से गालूडीह के ग्रामीण परेशान हैं। हाथी रात के समय गांवों में आते हैं, जिससे फसलें बर्बाद हो रही हैं और ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है। कई बार तो हाथी फसलों को रौंदकर नष्ट कर देते हैं, जिससे खेती करने वाले गांव वाले अपना सिर पकड़कर बैठ जाते हैं।

वहीं, गालूडीह थाना के नरसिंहपुर पहाड़ से सटे डुमकाकोचा गांव में रविवार सुबह एक हाथी का बच्चा ठंड लगने से बेहोश हो गया था। इस घटना के बाद हाथियों ने नरसिंहगढ़ सड़क को जाम कर दिया और दर्जनों बाइकों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके अलावा, हाथियों ने ग्रामीणों के खेतों को रौंदकर उनका भारी नुकसान किया था।

वन विभाग की मुस्तैदी:
मालूम हो कि इस हादसे के बाद घाटशिला रेंजर विमद कुमार और उनकी टीम मौके पर पहुंची थी। वन विभाग के कर्मचारियों ने काफी कोशिशों के बाद हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया और उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके बाद हाथियों ने और ज्यादा उत्पात मचाना शुरू कर दिया, जिससे गांवों में एक और डर का माहौल बन गया।

हाथियों के आतंक का इतिहास:
यह पहली बार नहीं है जब गालूडीह क्षेत्र में हाथियों का आतंक देखा गया हो। झारखंड में हाथियों का मानव-वन्यजीव संघर्ष एक पुराना मुद्दा है। जंगलों के सिकुड़ने और मानव बस्तियों का विस्तार होने के कारण हाथी जंगल से बाहर आकर गांवों में दाखिल हो जाते हैं। हाथियों का इन क्षेत्रों में विचरण अक्सर फसल नष्ट करने और जान-माल का नुकसान करने की वजह से ग्रामीणों के लिए बड़ा खतरा बन जाता है।

ग्रामीणों के बीच डर का माहौल:
नरसिंहपुर गांव के ग्राम प्रधान श्यामल सिंह ने बताया कि पिछले दो दिनों से हाथी रात में उनके गांव में आ रहे हैं। इससे गांव वालों के बीच एक भय का माहौल बन गया है। फसलें भी भारी नुकसान में हैं, और यही वजह है कि ग्रामीणों के बीच चिंता का माहौल है।

क्या अब भी सुरक्षित हैं ग्रामीण?
गांववालों को समझाइश दी जा रही है कि वे जंगल की ओर न जाएं और सुरक्षा के लिए किसी भी अनावश्यक खतरे से बचें। वन विभाग की ओर से हाथियों को भगाने के लिए अभियान जारी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह उपाय पर्याप्त होंगे? क्या हाथियों का आतंक जल्द ही थमेगा, या यह समस्या और भी विकराल रूप धारण करेगी?

गालूडीह क्षेत्र में हाथियों का आतंक एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कैसे शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। वन विभाग की मुस्तैदी और ग्रामीणों की सुरक्षा के प्रयासों के बावजूद, यह संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। क्या इस मुद्दे का समाधान जल्द मिलेगा? यही सबसे बड़ा सवाल है।अगर आप भी इस घटना के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और इस वीडियो को शेयर करें। हम आपको ताजातरीन जानकारी देंगे।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।