Jamshedpur Donation: शिक्षिका ने मेडिकल छात्रों को दी कीमती सौगात!
जमशेदपुर में शिक्षिका ऋतु शुक्ला ने मेडिकल छात्रों के लिए 30 किताबें दान की, जिससे वे नीट और एमबीबीएस की बेहतर तैयारी कर सकें। जानिए इस प्रेरणादायक पहल की पूरी कहानी!

जमशेदपुर: शहर के पीपुल्स एकेडमी में शनिवार को एक खास पहल देखने को मिली, जब सीएम स्कूल बीपीएम बर्मामाइन्स की अंग्रेजी शिक्षिका ऋतु शुक्ला ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए 30 बहुमूल्य किताबें दान की। इन पुस्तकों में एमबीबीएस और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उपयोगी अध्ययन सामग्री शामिल है।
छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए अनमोल योगदान
ऋतु शुक्ला ने बताया कि यह पुस्तकें लाइब्रेरी में रखी जाएंगी ताकि छात्र-छात्राएं गहन अध्ययन कर सकें और अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की बेहतर तैयारी कर पाएं। उन्होंने कहा, "हर छात्र को एक बेहतर अवसर मिलना चाहिए, और सही संसाधन उपलब्ध कराना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।"
शिक्षा का इतिहास: क्यों है यह पहल खास?
भारत में शिक्षा के प्रति दान और सहयोग की एक लंबी परंपरा रही है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों में भी बाहरी विद्वानों ने छात्रों को अध्ययन सामग्री प्रदान की थी। आज के दौर में जब प्रतियोगी परीक्षाएं अत्यधिक कठिन हो चुकी हैं, ऐसे में इस तरह की पहल छात्रों के भविष्य निर्माण में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है।
विद्यालय प्रबंधन ने की सराहना
इस नेक पहल पर पीपुल्स एकेडमी के प्रधानाचार्य चंद्रदीप पांडे ने शिक्षिका ऋतु शुक्ला का धन्यवाद करते हुए कहा, "आज के समय में शिक्षकों की यह भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि संसाधनों की कमी के कारण कई मेधावी छात्र आगे नहीं बढ़ पाते।" मौके पर कौशिक दत्ता, डॉ. अंजु और अन्य शिक्षक भी उपस्थित थे।
नीट और एमबीबीएस की तैयारी के लिए क्यों जरूरी हैं सही किताबें?
नीट (NEET) परीक्षा को भारत की सबसे कठिन मेडिकल प्रवेश परीक्षा माना जाता है। यह सटीक अध्ययन सामग्री और सही मार्गदर्शन के बिना उत्तीर्ण करना आसान नहीं होता। कई छात्र महंगी किताबें खरीदने में सक्षम नहीं होते, ऐसे में इस प्रकार का योगदान आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है।
क्या छात्रों को मिलेगा और अधिक सहयोग?
पीपुल्स एकेडमी के प्रशासन ने इस पहल को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में और भी शैक्षिक संसाधन छात्रों को उपलब्ध कराए जा सकें। इसके लिए स्थानीय समाजसेवियों और शिक्षाविदों से मदद की अपील की जाएगी।
ऋतु शुक्ला द्वारा किया गया यह योगदान केवल किताबों का दान भर नहीं है, बल्कि यह उन छात्रों के सपनों को पंख देने की कोशिश है जो डॉक्टर बनने की राह पर हैं। यह पहल न केवल शिक्षा जगत में बल्कि समाज में भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी। यदि इसी तरह शिक्षक और समाज मिलकर छात्रों की मदद करें, तो भारत का भविष्य और अधिक उज्ज्वल हो सकता है।
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