Jamshedpur Court Review: जमशेदपुर में कोर्ट केस पर सख्ती! 159 मामलों की समीक्षा, अब क्या होगा अगला कदम?
जमशेदपुर उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में 159 लंबित मामलों की समीक्षा बैठक हुई। जानिए किन बड़े मामलों पर प्रशासन ने लिया सख्त फैसला।

जमशेदपुर: झारखंड के जमशेदपुर में उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में 159 लंबित मामलों की समीक्षा बैठक हुई, जिसमें क्रिमिनल केस, पोस्को, एससी-एसटी, सिविल केस और अवमानना वाद शामिल थे। बैठक में वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) किशोर कौशल, सरकारी अधिवक्ता (जीपी), लोक अभियोजक, सहायक लोक अभियोजक, विधि शाखा के प्रभारी और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
इस बैठक में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों में लंबित मामलों की गहन समीक्षा की गई। उपायुक्त ने अधिकारियों को इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश दिया, ताकि न्याय प्रक्रिया तेज हो सके।
159 मामलों पर क्यों आई सख्ती?
जिले में कई अहम कानूनी मामले वर्षों से लंबित हैं, जिनमें से कई ऐसे हैं जिनका नीचली अदालतों (लोअर कोर्ट) में फैसला हो चुका है, लेकिन अपील नहीं की गई। ऐसे मामलों को लेकर उपायुक्त ने साफ निर्देश दिए कि जहां जरूरत हो, वहां अपील की जाए और अन्य मामलों का त्वरित निपटारा किया जाए।
सवाल यह है कि आखिर इतने केस लंबित क्यों हैं?
- प्रशासनिक देरी
- विभागों में समन्वय की कमी
- कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलता
- सरकारी अधिकारियों द्वारा उचित दस्तावेज समय पर प्रस्तुत न करना
इन सभी कारणों को देखते हुए उपायुक्त ने सभी विभागों को सख्त निर्देश दिया कि वे केस से संबंधित सभी तथ्य और विवरण समय पर प्रस्तुत करें।
किन मामलों पर हुई खास चर्चा?
बैठक में मुख्य रूप से एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम, पोस्को (बच्चों से जुड़े अपराध), सिविल केस और अवमानना वाद पर फोकस किया गया।
- पोस्को एक्ट: झारखंड में बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है। उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई की जरूरत है, ताकि पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सके।
- एससी-एसटी मामले: इन मामलों में कई पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। उपायुक्त ने कहा कि इस तरह के मामलों में जल्द से जल्द फैसला आना चाहिए, ताकि न्याय व्यवस्था में भरोसा बना रहे।
- सिविल केस और अवमानना वाद: कई मामलों में अदालत ने सख्त आदेश जारी किए, लेकिन उनका पालन नहीं किया गया। उपायुक्त ने ऐसे मामलों को तेजी से हल करने के निर्देश दिए।
क्या है झारखंड में लंबित केसों का हाल?
झारखंड में न्यायिक प्रक्रियाओं में देरी एक बड़ी समस्या रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक—
- झारखंड में 50,000 से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं।
- एससी-एसटी और पोस्को से जुड़े मामलों में न्याय मिलने में औसतन 2-3 साल लगते हैं।
- कई मामलों में सरकारी विभागों की लापरवाही से केस और ज्यादा लंबा खिंच जाता है।
ऐसे में उपायुक्त द्वारा की गई यह समीक्षा बैठक काफी अहम मानी जा रही है।
प्रशासन और जनता के लिए बड़ा संदेश!
बैठक में उपायुक्त ने साफ कहा कि कानूनी मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिया कि—
मामलों की सही स्थिति की रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत की जाए।
जहां अपील जरूरी है, वहां फौरन अपील की जाए।
अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना होगा।
आगे क्या होगा?
अब देखना यह है कि प्रशासन के इस सख्त रुख का असर कब तक दिखता है। क्या सच में लंबित केस जल्द निपटेंगे, या यह बैठक सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह जाएगी?
जो भी हो, लेकिन यह तो तय है कि अगर न्याय में देरी होती रही, तो जनता का सिस्टम से भरोसा उठ सकता है। ऐसे में प्रशासन को इस बैठक में लिए गए फैसलों को जमीनी स्तर पर लागू करना ही होगा।
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