Jamshedpur Arrest : बैंक लॉकर से 30 लाख का सोना साफ, शातिर अभियुक्त शत्रुधन चौधरी दबोचा गया
आजादनगर थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा तीस लाख रुपये मूल्य का सोना चोरी करने वाले मुख्य आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सुरक्षा के दावों के बीच बैंक की तिजोरी में सेंध लगाने वाले इस शातिर अपराधी की गिरफ्तारी जमशेदपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।
जमशेदपुर, 17 दिसंबर 2025 – लौहनगरी के आजादनगर थाना क्षेत्र में स्थित एक प्रतिष्ठित बैंक की तिजोरी से हुई तीस लाख रुपये के सोने की चोरी ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया था। जमशेदपुर पुलिस ने इस गुत्थी को सुलझाते हुए मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। यह कार्यवाही न केवल अपराध पर लगाम है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा पर भरोसा रखने वाले आम नागरिकों के लिए भी एक बड़ी खबर है।
भरोसे का कत्ल और पुलिस का प्रहार
आजादनगर थाना कांड संख्या ८६१/२५ के तहत दर्ज इस मामले में पुलिस ने शत्रुधन चौधरी नामक व्यक्ति को न्यायालय से जारी वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया है। इस संपूर्ण विवाद की जड़ जाकिरनगर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा है, जहाँ के शाखा प्रबंधक मोहम्मद अजहरुद्दीन ने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। प्रबंधक ने बताया था कि ग्राहकों के विश्वास का प्रतीक माने जाने वाले लॉकर से कीमती स्वर्ण आभूषण गायब कर दिए गए हैं।
कौन है पकड़ा गया शातिर अपराधी?
गिरफ्तार किए गए अभियुक्त की पहचान शत्रुधन चौधरी (उम्र ३८ वर्ष) के रूप में हुई है। वह मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के चंडी थाना अंतर्गत बोधीबीघा गांव का निवासी है। वर्तमान में वह जमशेदपुर के मानगो थाना क्षेत्र स्थित एक अपार्टमेंट के चौथे तल्ले पर शानो-शौकत से रह रहा था। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और दस्तावेजों के बारीक विश्लेषण के बाद यह पुष्ट किया कि इस बड़ी चोरी के पीछे इसी व्यक्ति का हाथ है।
बैंकिंग तिजोरी की सुरक्षा का इतिहास और चुनौती
बैंकिंग इतिहास में तिजोरियों का उपयोग शताब्दियों पुराना है। प्रारंभ में भारी लोहे के बक्से और बड़ी चाबियों का युग था, किन्तु आधुनिक समय में अंकीय ताले और जैविक पहचान प्रणाली आ चुकी है। इसके बावजूद, इतिहास गवाह है कि जब-जब तकनीक उन्नत हुई, अपराधियों ने भी अपने तरीके बदल लिए। जमशेदपुर की यह घटना दर्शाती है कि आधुनिक सुरक्षा चक्र के भीतर भी सेंध लगाना असंभव नहीं है, विशेषकर जब साजिश गहरी हो।
कैसे चला पुलिस का अभियान?
जांच के प्रारंभिक चरण में पुलिस ने बैंक के सीसीटीवी फुटेज और आने-जाने वाले दस्तावेजों की गहनता से पड़ताल की। शत्रुधन चौधरी का नाम तब सामने आया जब दस्तावेजी साक्ष्यों में कुछ विसंगतियां पायी गईं।
-
साक्ष्यों की कड़ी: पुलिस ने पाया कि चोरी किए गए सोने का कुल मूल्य लगभग तीस लाख रुपये है। यह कोई छोटी-मोटी चोरी नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी।
-
न्यायिक प्रक्रिया: जब सारे सबूत अभियुक्त के खिलाफ इशारा करने लगे, तब पुलिस ने न्यायालय का द्वार खटखटाया और विधिवत वारंट प्राप्त करके उसे उसकी रिहाइश से ही दबोच लिया।
आगे की रणनीति और बरामदगी
आजादनगर पुलिस का कहना है कि अभियुक्त से कड़ाई से पूछताछ की जा रही है। मुख्य लक्ष्य उस तीस लाख रुपये के सोने को बरामद करना है, जो ग्राहकों की वर्षों की कमाई है। इसके साथ ही इस बात की भी संभावना खंगाली जा रही है कि क्या बैंक का ही कोई अन्य व्यक्ति अंदरूनी रूप से इस अपराध में शामिल था?
प्रशासन ने नगरवासियों को आश्वस्त किया है कि दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे कठोरतम दंड दिलाया जाएगा। इस गिरफ्तारी से बैंक के अन्य लॉकर धारकों ने राहत की सांस ली है, किन्तु बैंकों को अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर पुनर्विचार करने की चेतावनी भी मिल गई है।
What's Your Reaction?


