Jharkhand Crisis: जल जीवन मिशन फेल, 8 जिलों में ठप योजना, केंद्र से मांगी 6,324 करोड़ की राशि
झारखंड में जल जीवन मिशन की रफ्तार थम गई है। 8 जिलों में योजना पूरी तरह ठप, केंद्र से मांगी गई 6,324 करोड़ रुपये की राशि। जानिए क्या है पूरा मामला।
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झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन की रफ्तार थम गई है। राज्य के आठ जिलों में पिछले दो महीनों से हर घर नल जल योजना पूरी तरह ठप पड़ी है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 की राशि जारी न करना बताई जा रही है। इससे राज्य सरकार भी संकट में है और योजना की धीमी प्रगति को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है।
केंद्र से मांगी गई 6,324 करोड़ रुपये की राशि
झारखंड सरकार ने केंद्र से 6,324 करोड़ रुपये की मांग की है, ताकि जल जीवन मिशन के तहत रुके हुए काम को दोबारा शुरू किया जा सके। इसी को लेकर राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की थी और तत्काल फंड जारी करने की अपील की थी। हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने साफ कर दिया कि राज्य सरकार पहले इस योजना में उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा करे, तभी नई राशि जारी की जाएगी।
2019 में हुई थी योजना की शुरुआत, 2024 में हुई फेल
जल जीवन मिशन की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को हुई थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी 50-50 प्रतिशत थी। इस योजना के तहत झारखंड में 97,500 योजनाओं के जरिए हर घर नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए कुल 24,600 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे, जिसमें केंद्र सरकार को 12,257 करोड़ और राज्य सरकार को 12,347 करोड़ रुपये देने थे।
अब तक राज्य सरकार ने अपने हिस्से की 5,794 करोड़ रुपये की राशि दे दी है, जबकि केंद्र सरकार 5,940 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। लेकिन नया फंड जारी नहीं होने से यह महत्वाकांक्षी योजना ठप हो गई है।
आंकड़ों में झारखंड का प्रदर्शन
- कुल घरों की संख्या: 62,55,717
- नल से जल पहुंचने वाले घर: 34,19,100
- जहां अब तक नल नहीं पहुंचा: 28,36,617
- राष्ट्रीय औसत: 79.79%
- झारखंड का औसत: 54.66%
यानी, झारखंड राष्ट्रीय औसत से लगभग 25% पीछे है।
किन जिलों में ठप हुई योजना?
जनवरी-फरवरी 2024 में पाकुड़, साहिबगंज, धनबाद, दुमका, गढ़वा, गुमला, लातेहार और सिमडेगा में एक भी घर में नल से पानी नहीं पहुंचा।
पाकुड़ जिले में तो चार महीनों में सिर्फ एक घर में ही जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंचाया जा सका है।
कंट्रैक्टरों ने रोक दिया काम
फंड की कमी के चलते ठेकेदारों (कॉन्ट्रैक्टर्स) ने भी अपने काम बंद कर दिए हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में नल कनेक्शन का काम अधर में लटक गया है और लाखों लोग शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
क्या बोले केंद्रीय जल शक्ति मंत्री?
केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने स्पष्ट किया कि नई योजनाएं लागू करने की जगह पुरानी योजनाओं को पहले पूरा किया जाए। इसके अलावा, राज्य सरकार को योजना के तहत खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया है।
जल संकट से जूझता झारखंड
झारखंड के कई जिले पहले से ही गर्मी के मौसम में पानी की भारी किल्लत झेलते हैं। ऐसे में जल जीवन मिशन की धीमी रफ्तार से लोगों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। अगर जल्द ही फंड जारी नहीं हुआ तो लाखों परिवारों को शुद्ध पेयजल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
पब्लिक का गुस्सा बढ़ा
राज्य के कई जिलों में जल संकट को लेकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो चुके हैं। स्थानीय लोग सड़क पर उतरकर सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
जल जीवन मिशन के भविष्य पर सवाल
सरकार ने 2019 में जिस योजना को दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था, अब उसी योजना को चार साल का विस्तार देना पड़ा है। इससे साफ है कि योजना का क्रियान्वयन पूरी तरह विफल हो चुका है।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक मतभेदों के कारण जनता को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अगर जल्द ही इस मुद्दे को हल नहीं किया गया तो झारखंड में जल संकट और बढ़ सकता है।
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