जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर एसोसिएशन के संघर्ष को सरकार नजरअंदाज कर रही है?
जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर एसोसिएशन अपनी समस्याओं को लेकर सरकार की गलत नीतियों और उनके क्रियान्वयन के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। जानिए कैसे संगठन के सदस्यों ने अपने प्रयासों से जाम हटाया और सड़कों को सुधारने में मदद की।
"चैन से सोना है तो जाग जाओ!" – ये सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि आज के परिप्रेक्ष्य में जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर एसोसिएशन के संघर्ष की सच्चाई को दर्शाता है। जमशेदपुर के ट्रक चालक और मालिक सरकार की गलत नीतियों और उनके क्रियान्वयन से परेशान हैं। ऐसे में सवाल उठता है: क्या झारखंड सरकार इस संघर्ष को अनदेखा कर रही है?
जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर ओनर एसोसिएशन के सदस्य सड़कों की खराब स्थिति और जाम की समस्या से निपटने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। जब सरकार से कोई मदद नहीं मिली, तो संगठन के सदस्यों ने खुद आगे बढ़कर समस्या का हल ढूंढने की ठानी। इस काम में एसोसिएशन के सदस्यों ने अपने जेसीबी मशीनें सड़क सुधारने के लिए भेजी और जाम को खत्म करने का बीड़ा उठाया।
टीम वर्क और वालंटियर
मिनहाज खान, संजय पांडे, चरणजीत सिंह, अनीश कुमार, और कई अन्य वालंटियर सदस्यों ने मिलकर इस अभियान में हिस्सा लिया। इस टीम में शामिल 24 लोगों ने न केवल अपने समय का योगदान दिया, बल्कि आर्थिक रूप से भी सहयोग किया ताकि सड़कों की स्थिति में सुधार हो सके। जिनका नाम इस सूची में शामिल है, उनमें प्रेम शंकर तिवारी, संतोष यादव, अशोक कुमार दुबे, नौशाद अहमद, विकास सिंह, शिवनाथ भगत, और कई अन्य प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं।
समस्या और संघर्ष
झारखंड की सड़कों की स्थिति और प्रशासन की लापरवाही ने ट्रक और ट्रेलर चालकों की समस्याओं को बढ़ा दिया है। सड़कें खराब हैं, यातायात जाम की समस्या विकराल है, और सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। ऐसे में, ट्रक चालक और मालिक खुद सड़कों की मरम्मत का जिम्मा ले रहे हैं। यह स्थिति झारखंड सरकार के लिए सवाल खड़ा करती है – आखिर कब तक इस असुविधा को नजरअंदाज किया जाएगा?
सरकार की नीतियों पर सवाल
सरकार की नीतियां और उनका गलत क्रियान्वयन इस पूरी समस्या का मूल कारण हैं। सवाल यह उठता है कि सरकार को ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री की इस अहम समस्या का समाधान कब तक दिखाई नहीं देगा? अगर जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर एसोसिएशन जैसी संस्था खुद आगे आकर सड़कों की मरम्मत का काम कर रही है, तो फिर सरकार की जिम्मेदारी कहां है?
यहां सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि एक पूरी इंडस्ट्री है जो सरकार से उम्मीद लगाए बैठी है। जमशेदपुर ट्रक और ट्रेलर ओनर एसोसिएशन का यह संघर्ष केवल जाम हटाने या सड़कों की मरम्मत तक सीमित नहीं है। यह एक सवाल है उन नीतियों पर, जो ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री को जूझने पर मजबूर कर रही हैं।
समय आ गया है कि झारखंड सरकार इस समस्या की ओर ध्यान दे और ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बुनियादी जरूरतों को समझे।
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