Hazaribagh : हजारीबाग में बाल विवाह मुक्ति के लिए जागरूकता, एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
हजारीबाग में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। जानें इस कार्यक्रम के उद्देश्य, भागीदारों और प्रभाव के बारे में।
हजारीबाग, झारखंड: बाल विवाह को समाप्त करने के लिए चलाए जा रहे 'बाल विवाह मुक्त भारत' अभियान के तहत एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हजारीबाग में हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने दीप जलाकर किया और इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम की शुरुआत और उद्देश्य
जिला समाज कल्याण सभागार में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यक्रम में शिप्रा सिन्हा ने बाल विवाह की गंभीरता पर जोर दिया और बताया कि यह एक सामाजिक बुराई है जो न केवल बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती है बल्कि यह कानून का उल्लंघन भी है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के चलते बालिकाओं को शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास के अवसरों से वंचित रहना पड़ता है।
नवीनतम पहल और सरकारी प्रयास
महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार ने इस अभियान की शुरुआत विज्ञान भवन, नई दिल्ली से वेबकास्टिंग के जरिए की। इसका उद्देश्य बाल विवाह की जड़ें समाज से समाप्त करना और किशोरों को उनके अधिकार और स्वतंत्रता के प्रति जागरूक करना है। हजारीबाग में आयोजित इस कार्यक्रम के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी समान जागरूकता अभियान चलाया गया।
समर्थन और भागीदार
इस अभियान को सफल बनाने के लिए जस्ट राइट फोर चिल्ड्रेन जैसे गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लिया जा रहा है। इस संगठन के प्रतिनिधियों के अलावा, कार्यक्रम में स्कूली बच्चे, सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों के शिक्षक और कर्मचारी, सखी मंडल के सदस्य, ग्राम संगठन के लोग, आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ी किशोरियां और माताएं, एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के सदस्य और बाल कल्याण पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए।
सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम
कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रार्थना सभा से हुई, जिसमें बच्चों ने समाज में बाल विवाह के नकारात्मक प्रभावों के बारे में संकल्प लिया। इसके बाद, विशेषज्ञों ने बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने विचार साझा किए।
इतिहास और सामाजिक संदर्भ
भारत में बाल विवाह की समस्या का इतिहास कई दशकों पुराना है। हालांकि, समय के साथ इस पर नियंत्रण पाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, फिर भी यह एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। भारत सरकार ने कई योजनाएं और कानून बनाए हैं, जैसे कि 'बाल विवाह निषेध अधिनियम', जो बाल विवाह को रोकने के लिए लागू किया गया है। फिर भी, जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से इस समस्या से पूरी तरह से निपटना जरूरी है।
आगे की रणनीति
कार्यक्रम के दौरान, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संजय प्रसाद और अन्य अधिकारियों ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि इस पर नियंत्रण के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना है। भविष्य में इस अभियान को गांव-गांव, स्कूल-स्कूल और समुदाय-समुदाय तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है।
बाल विवाह के खिलाफ इस जागरूकता अभियान से समाज में बदलाव की एक नई लहर आ सकती है। जब तक हर व्यक्ति और समाज का हर हिस्सा इस मुहिम में शामिल नहीं होगा, तब तक बाल विवाह की समस्या को जड़ से खत्म करना मुश्किल होगा।
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