शहीद अब्दुल हमीद की पुण्यतिथि पर नमन परिवार ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
नमन परिवार ने शहीद अब्दुल हमीद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। शहर के प्रमुख बुद्धिजीवियों ने उनके बलिदान और वीरता को याद किया।
जमशेदपुर, 10 सितंबर 2024: शहर की प्रमुख सामाजिक संस्था, नमन परिवार, ने शहीद अब्दुल हमीद की पुण्यतिथि के अवसर पर साकची स्थित अपने कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में शहर के प्रमुख बुद्धिजीवी, पत्रकार, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं और युवा उपस्थित थे।
श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ इस अवसर पर शहीद अब्दुल हमीद के जीवन और उनकी वीरता पर भी प्रकाश डाला गया। वरिष्ठ पत्रकार और नमन के संरक्षक बृजभूषण सिंह ने शहीद अब्दुल हमीद के बलिदान की याद दिलाते हुए कहा, “युवाओं को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए। शहीद अब्दुल हमीद केवल एक वीर सैनिक ही नहीं, बल्कि उनकी निस्वार्थ सेवा और कर्तव्यनिष्ठा हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।”
वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश राय ने अपने संबोधन में कहा, “अब्दुल हमीद की वीरता और देशभक्ति हमारे देश के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। हमें शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए और उनकी वीरता से प्रेरित होकर देश की सेवा में समर्पित रहना चाहिए।”
कार्यक्रम के दौरान समाजसेवी रामकेवल मिश्रा, साहित्यकार बलविंदर सिंह, अधिवक्ता स्वाती मित्रा, समाजसेवी रितिका श्रीवास्तव सहित कई अन्य वक्ताओं ने अब्दुल हमीद के जीवन और उनके अद्वितीय साहस की घटनाओं का वर्णन किया। विशेष रूप से, 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनकी भूमिका की चर्चा की गई, जिसमें उन्होंने अपनी सूझबूझ और साहस से दुश्मन के टैंकों को ध्वस्त किया।
कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी और नमन के वरिष्ठ पदाधिकारी राजीव कुमार ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन जूगुन पांडे ने प्रस्तुत किया। श्रद्धांजलि सभा में महेंद्र सिंह, कैलाश झा, मधु सिंह, संदीप कुमार सिंह, सिम्मी कश्यप, डी मनी, ममता पुष्टि, सीता देवी, महालक्ष्मी देवी, सावित्री देवी, रिंकू दुबे, शांति माला, केसरी देवी, चंपा देवी, शारदा देवी, अंजना भटर्जी, सरस्वती देवी, सुमन कुमारी, राधिका देवी, निशा कुमारी, दुखनी देवी, कंचन देवी, जोबा मुर्मू, अमरजीत कौर, जसवीर कौर, सविता देवी, पूनम गुप्ता सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।
इस श्रद्धांजलि सभा ने शहीद अब्दुल हमीद की वीरता और बलिदान को पुनः स्मरण करने का अवसर प्रदान किया और उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट की।
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