हां मेहनतकश मजदूर हूं मैं - अर्चना जी, उत्तर प्रदेश
हां मेहनतकश मजदूर हूं मैं - अर्चना जी, उत्तर प्रदेश
हां मेहनतकश मजदूर हूं मैं
देश नव निर्माण का नींव हूं मैं,
उद्योगों,अर्थव्यवस्था का रीढ़ हूं मैं।
पाताल भेद कुंओं से कनक निकाल लाता हूं,
कानों के कुंडल का कारण बन जाता हूं,
कोयले के कालिख का कलंक झेल जाता हूं,
वतन के उजाले का दीपक हूं मैं,
हां, देश नव निर्माण का नींव हूं मैं।
ऊंची अट्टालिकाओं का वजन मैं उठाता हूं,
स्वयं के स्वेद से सींच, सुंदर उसे सजाता हूं,
हस्त हथौड़ा ले, नाना विध नक्काशियां निकलता हूं,
गति और विकास का विश्वकर्मा हूं मैं,
हां, देश नव निर्माण का नींव हूं मैं।
अमीरों की अमीरी का राज़ हूं मैं,
और उनके करोड़ों का काज हूं मैं,
फिर भी उनकी नज़र में जला राख हूं मैं,
देश नव निर्माण का नींव हूं मैं।
हां,सुनो, सुनो,सुनो !
यही मेहनतकश मजदूर हूं मैं।।
स्वरचित मौलिक अर्चना
गाजीपुर ,उत्तर प्रदेश, भारत