Gumla News: IED ब्लास्ट में 5 साल की बच्ची घायल, रिम्स रेफर
गुमला जिले के नक्सल प्रभावित कुरुमगढ़ क्षेत्र में IED ब्लास्ट हुआ, जिसमें एक 5 साल की बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची को बेहतर इलाज के लिए रिम्स रेफर किया गया है।
गुमला, 26 दिसंबर: झारखंड के गुमला जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक बार फिर से दर्दनाक घटना सामने आई है, जब नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) में एक पांच साल की बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। यह घटना कुरुमगढ़ थाना क्षेत्र के सकरा पानी गांव स्थित जंगल में हुई, जहां यह मासूम लकड़ी चुनने गई थी।
क्या हुआ था हादसा?
जानकारी के मुताबिक, 5 साल की अनुष्का नाम की बच्ची अपने घर से कुछ दूरी पर जंगल में लकड़ी चुनने के लिए गई थी। इसी दौरान नक्सलियों द्वारा बिछाया गया IED ब्लास्ट हो गया, और बच्ची उसकी चपेट में आ गई। ब्लास्ट की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े, लेकिन तब तक बच्ची गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी।
विस्फोट के बाद बच्ची का पेट फट गया था, और उसकी आंत बाहर निकल आई थी। बच्ची के शरीर से काफी रक्तस्राव हो रहा था। इस हादसे में उसकी हालत नाजुक हो गई, जिसे देखते हुए तुरंत इलाज के लिए रिम्स रांची रेफर कर दिया गया।
पुलिस की गोपनीय कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही, कुरुमगढ़ थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को तत्काल इलाज के लिए चैनपुर CHC (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर) लेकर गई। हालांकि, मीडिया से बचने के लिए बच्ची को सदर अस्पताल नहीं लाया गया और उसे एक निजी अस्पताल में भेजा गया।
इसके बाद पुलिस ने बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे रिम्स रांची रेफर कर दिया, जहां उसका इलाज जारी है। मासूम की मां बिरसो देवी भी अपनी बेटी के साथ रिम्स अस्पताल पहुंची है।
नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED का खतरा
यह पहली बार नहीं है जब गुमला जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों द्वारा IED ब्लास्ट की घटनाओं में कई जानें जा चुकी हैं। ये IED ब्लास्ट न केवल सुरक्षा बलों के लिए, बल्कि सामान्य नागरिकों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुके हैं।
इससे पहले भी गुमला और आसपास के इलाकों में नक्सलियों द्वारा ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी हैं, जिसमें कई लोग घायल हुए थे या अपनी जान गंवा बैठे थे। नक्सलियों के इस तरह के हमलों से क्षेत्र में भय का माहौल बना रहता है।
चिंता का विषय - बच्चों का जीवन भी खतरे में
इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि नक्सलियों द्वारा बिछाए गए इन विस्फोटक उपकरणों का असर निर्दोष नागरिकों, खासकर बच्चों पर भी पड़ता है। जब बच्ची जैसी मासूम इस तरह के हमले का शिकार होती है, तो यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
यह घटना यह बताती है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य लोगों के लिए जीवन जीना कितना खतरनाक हो सकता है। न केवल सुरक्षा बलों, बल्कि यहां रहने वाले बच्चों और परिवारों को भी निरंतर खतरे का सामना करना पड़ता है।
रिम्स में इलाज जारी
रिम्स अस्पताल में इलाज के दौरान, डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की स्थिति बेहद गंभीर है और उसका इलाज विशेष ध्यान से किया जा रहा है। इस समय बच्ची की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन उसकी पूरी तरह से ठीक होने में वक्त लगेगा।
रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है, और हर संभव कोशिश की जा रही है कि उसकी जान बचाई जा सके।
क्या हो सकती है स्थिति का सुधार?
झारखंड में नक्सलवाद के खिलाफ सरकार और सुरक्षा बलों के प्रयास जारी हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि यहां के लोगों के लिए आज भी खतरे कम नहीं हुए हैं। नक्सलियों के हमले सिर्फ जवानों को ही नहीं, बल्कि मासूम बच्चों को भी अपना शिकार बना रहे हैं।
सुरक्षा बलों को चाहिए कि वे ऐसे इलाकों में और अधिक सख्त कदम उठाएं, ताकि मासूमों की जान बचाई जा सके और नक्सलियों के खतरों से इलाके को सुरक्षित किया जा सके।
गुमला में हुई इस घटना ने फिर से एक बार नक्सलवाद के खतरे को उजागर किया है, जहां न केवल जवानों की जान जा रही है, बल्कि आम नागरिक, खासकर बच्चे, भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमें सुरक्षा के उपायों को और सख्त करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
What's Your Reaction?