Gumla Bulldozer Action: गुमला में गरजा बुलडोजर, प्रशासन ने तोड़ डाली कई दुकानें; क्या थी वजह?

गुमला में प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई कर कई दुकानों को तोड़ा। क्या है अतिक्रमण हटाने की असल वजह? जानिए पूरी जानकारी।

Jan 29, 2025 - 19:10
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Gumla Bulldozer Action: गुमला में गरजा बुलडोजर, प्रशासन ने तोड़ डाली कई दुकानें; क्या थी वजह?
Gumla Bulldozer Action: गुमला में गरजा बुलडोजर, प्रशासन ने तोड़ डाली कई दुकानें; क्या थी वजह?

गुमला, झारखंड: मंगलवार को गुमला जिले में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई की और घाघरा प्रखंड के चांदनी चौक में कई दुकानों को बुलडोजर से तोड़ डाला। यह कार्रवाई उस समय हुई जब प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए कई दुकानदारों को पहले नोटिस जारी किए थे, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया। यह घटना झारखंड में अतिक्रमण हटाने की एक नई दिशा को रेखांकित करती है, जहां प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की और अब और भी सख्ती से काम करने का संकल्प लिया है।

क्यों हुआ यह बुलडोजर एक्शन?

गुमला में इस बुलडोजर कार्रवाई के पीछे प्रशासन का उद्देश्य अतिक्रमण हटाना था, जो वर्षों से चल रहा था। प्रशासन ने पहले ही दुकानदारों को नोटिस भेजकर यह स्पष्ट किया था कि यदि वे अपनी दुकानों को अतिक्रमण मुक्त नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चांदनी चौक और गुमला रोड पर वर्षों से कई दुकानें और ठेले सड़क पर लगे हुए थे, जिससे न केवल यातायात में रुकावटें उत्पन्न हो रही थीं, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में थी।

इस कार्रवाई के बाद सीओ आशीष कुमार मंडल ने स्पष्ट किया कि, "हमने पहले 60 दुकानदारों को नोटिस दी थी, जिनमें से 20 दुकानदारों के दुकानों को हटाने के लिए मैपिंग की गई थी।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी ने अपनी दुकानें नहीं हटाईं तो उनके खिलाफ IPC की धारा 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

प्रशासन की सख्त चेतावनी: क्या है भविष्य का रोडमैप?

गुमला में हुई इस कार्रवाई के बाद, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान जारी रहेगा और अवैध रूप से कब्जा करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। सीओ ने दुकानदारों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने अपने अतिक्रमण को जल्द हटाया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और पुलिस बल की सहायता से उन्हें हटाया जाएगा।

दूसरी ओर, दुकानदारों ने प्रशासन के समक्ष अपनी परेशानियों को रखा। कई दुकानदारों का कहना था कि वे अपनी रोजी-रोटी के लिए इन दुकानों पर निर्भर हैं, और उन्हें अपनी आजीविका के लिए वैकल्पिक व्यवस्था चाहिए। हालांकि, प्रशासन ने इन दलीलों को नजरअंदाज करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया।

झारखंड में बढ़ता अतिक्रमण और प्रशासन की भूमिका

झारखंड में अतिक्रमण की समस्या काफी पुरानी है। शहरों और ग्रामीण इलाकों में सड़क पर कब्जा करने की घटनाएं आम हैं। इससे न केवल यातायात में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। कई जगहों पर यह अतिक्रमण कई वर्षों से कायम है, और प्रशासन ने इसे हटाने के लिए कई बार चेतावनी दी थी।

हाल ही में राज्य के विभिन्न जिलों में प्रशासन ने ऐसे ही कई कार्रवाइयाँ की हैं, और इन कार्रवाइयों का उद्देश्य शहरों और गांवों को सुव्यवस्थित करना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ऐसे अभियानों के परिणामस्वरूप, कई दुकानों और ठेलों को हटाया गया है, जिससे सड़कों पर यातायात की स्थिति बेहतर हुई है।

प्रशासन की लगातार कार्रवाई: क्या यह सही है?

हालांकि यह बुलडोजर कार्रवाई कई दुकानदारों के लिए कठिनाई का कारण बनी है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह कदम शहरों को व्यवस्थित करने और अवैध कब्जों से छुटकारा पाने के लिए आवश्यक था। प्रशासन का मानना है कि भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाई नागरिकों के लिए बेहतर और सुरक्षित यातायात का वातावरण बनाने में मदद करेगी।

निष्कर्ष: क्या है इसका असर?

गुमला में हुई बुलडोजर कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया कि प्रशासन अपनी नीति के तहत काम कर रहा है, और वह अवैध कब्जों को हटाने के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। हालांकि, इस कार्रवाई के बाद दुकानदारों और स्थानीय लोगों में चिंता का माहौल है, लेकिन इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अब प्रशासन अपने अधिकारों का कड़ाई से पालन करवा रहा है।

आगे बढ़ते हुए, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि दुकानदारों को वैकल्पिक स्थान और उचित समय दिया जाए ताकि वे अपनी आजीविका के स्रोत को बनाए रख सकें। साथ ही, अतिक्रमण हटाने के अभियान में नागरिकों की सहभागिता को बढ़ाना भी आवश्यक होगा।

गुमला में बुलडोजर कार्रवाई ने यह दिखा दिया कि प्रशासन अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम निश्चित रूप से शहर की सफाई और व्यवस्थित यातायात की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।

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