गोरखपुर में शुरू होगा गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य आयोजन, 14 से 21 सितंबर तक चलेगा कार्यक्रम
गोरखपुर के गोरक्षपीठ में 14 से 21 सितंबर तक गुरु-शिष्य परंपरा के तहत श्रद्धांजलि और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। श्रीमद्भागवत कथा, सम्मेलन और श्रद्धांजलि सभा की तैयारियां पूरी।
गोरखपुर: 13 सितंबर 2024 को गोरखपुर के गोरक्षपीठ में गुरु-शिष्य परंपरा का भव्य आयोजन शुरू होने जा रहा है। 14 सितंबर से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 14 से 21 सितंबर तक चलने वाले इस साप्ताहिक आयोजन की शुरुआत 14 सितंबर को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ से होगी। कथा का वाचन काशी के कथाव्यास जगद्गुरु अनंतानंद काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ. राम कमलदास वेदांती जी करेंगे। यह कथा अपराह्न 2:30 बजे गोरखनाथ मंदिर से दिग्विजयनाथ स्मृति भवन तक भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू होगी।
इस बीच, 15 से 19 सितंबर तक विभिन्न सम्मेलनों का आयोजन होगा, जिनमें समाज और राष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उद्घाटन दिवस पर 15 सितंबर को 'लोकतंत्र की जननी है भारत' विषयक सम्मेलन होगा, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में हरिवंश नारायण सिंह, राज्यसभा उपसभापति उपस्थित रहेंगे। अन्य सम्मेलन में 'भारत की आर्थिक शक्ति', 'सामाजिक समरसता', और 'संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति' जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा चर्चा होगी।
कार्यक्रम के अंतिम दो दिनों, 20 और 21 सितंबर को श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाएंगी। 20 सितंबर को महंत दिग्विजयनाथ जी की और 21 सितंबर को महंत अवेद्यनाथ जी की श्रद्धांजलि सभा होगी। इन कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण गोरखनाथ मंदिर के फेसबुक पेज, एक्स (ट्विटर) और यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गोरखनाथ मंदिर की ओर से निशुल्क बस सेवा भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह बस सेवा विभिन्न रूटों से प्रतिदिन अपराह्न 2:00 बजे से गोरखनाथ मंदिर तक उपलब्ध होगी।
इस आयोजन के माध्यम से गोरक्षपीठ गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मानित करते हुए धार्मिक और सामाजिक समरसता का संदेश फैलाएगा।
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