गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2024 में 84 शिक्षकों का हुआ सम्मान, सुनील कुमार नकुड़ को विशेष पहचान

उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, और गुजरात के 84 शिक्षकों को गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया। सुनील कुमार नकुड़ को शिक्षा और साहित्य में विशेष योगदान के लिए पहचान मिली।

Oct 8, 2024 - 12:33
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गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2024 में 84 शिक्षकों का हुआ सम्मान, सुनील कुमार नकुड़ को विशेष पहचान
गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2024 में 84 शिक्षकों का हुआ सम्मान, सुनील कुमार नकुड़ को विशेष पहचान

लखनऊ, 06 अक्टूबर 2024: शिक्षा और समाज के विकास में अपनी अनूठी भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, और गुजरात के 84 शिक्षकों को गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके द्वारा सरकारी विद्यालयों को "आनन्दघर" में बदलने के सफल प्रयासों के लिए दिया गया है। कार्यक्रम का आयोजन शैक्षिक संवाद उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया, जिसमें संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय और कार्यक्रम संयोजक दुर्गेश्वर राय ने संयुक्त रूप से इस सम्मान समारोह की मेजबानी की।

सुनील कुमार नकुड़: एक शिक्षक, कवि और लेखक की अनोखी यात्रा

इस समारोह में सुनील कुमार नकुड़, जो सहारनपुर के एक शिक्षक, कवि और लेखक हैं, को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाई है, विशेष रूप से अपने विद्यालय को "आनन्दघर" के रूप में स्थापित करने में। प्रमोद दीक्षित मलय ने सुनील कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि उनका योगदान न केवल विद्यालयों में बल्कि साहित्यिक मंचों पर भी अद्वितीय है।

सुनील कुमार नकुड़ की रचनाएँ सैकड़ों साझा संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं, और उनकी कविताओं ने समाज में एक नई दिशा देने का प्रयास किया है। उनका साहित्यिक योगदान उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार के रूप में स्थापित करता है।

साझा कविता संग्रह 'नदी बहने लगी है' का विमोचन

इस अवसर पर, दुर्गेश्वर राय द्वारा संपादित साझा कविता संग्रह "नदी बहने लगी है" का विमोचन भी मंचस्थ अतिथियों के द्वारा किया गया। यह संग्रह देश के कवियों और साहित्य प्रेमियों के बीच गहरा प्रभाव छोड़ने का वादा करता है।

शिक्षकों के लिए एक गौरवमयी क्षण

शैक्षिक संवाद उत्तर प्रदेश के संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने इस आयोजन के दौरान कहा, "यह शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने का एक अद्वितीय अवसर है। जिन शिक्षकों ने अपने विद्यालयों को आनन्दघर में बदलने का प्रयास किया है, वे शिक्षा में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा कि सुनील कुमार जैसे शिक्षकों का योगदान शिक्षा के साथ-साथ साहित्य में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे समाज और देश को नई दिशा मिलती है।

स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र

कार्यक्रम के दौरान सभी सम्मानित शिक्षकों को स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, मेडल और बैग भेंट किए गए। यह सम्मान न केवल उनके शिक्षा क्षेत्र में योगदान को मान्यता देता है, बल्कि उनके समाज के प्रति समर्पण को भी सराहता है।

इस अवसर पर, शैक्षिक संवाद ने यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि शिक्षा का स्तर और ऊँचा हो सके और छात्रों को आनंदमय और प्रगतिशील वातावरण में शिक्षा प्राप्त हो सके।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।