ग़ज़ल - 5 - रियाज खान गौहर, भिलाई
दोस्त उसको बना नही सकता दुश्मनी को भूला नही सकता .....
ग़ज़ल
दोस्त उसको बना नही सकता
दुश्मनी को भूला नही सकता
पास मेरे वो आ नही सकता
दूर उससे मैं जा नही सकता
और कितना यकीँ करूँ उस पर
और धोखा मैं खा नही सकता
दोस्त मेरा भले ही जिगरी हो
जुल्म उसका छुपा नही सकता
वो भले ही मिरा बुरा चाहे
दिल किसी का दुखा नही सकता
गर मोहब्बत भी हो तुम्हे मुझसे
दिल को अपने मना नही सकता
अब तो उसपे यकीँ नही होता
वो कसम मेरी खा नही सकता
याद तेरी मुझे सताती है
शुक्रिया पास आ नही सकता
हाल जैसा भी हो मगर यारों
हर किसी को बता नही सकता
अब बुढ़ापे का दौर है गौहर
अब जवानी मैं पा नही सकता
गज़लकार
रियाज खान गौहर भिलाई
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