गजल 24 - रियाज खान गौहर भिलाई

मिरी इल्तिजा आपसे बस यही है  खता बख्श दीजै अगर कुछ हुई है .....

Sep 23, 2024 - 17:20
Sep 23, 2024 - 13:55
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गजल 24 - रियाज खान गौहर भिलाई
गजल 24 - रियाज खान गौहर भिलाई

|| गजल ||

मिरी इल्तिजा आपसे बस यही है 
खता बख्श दीजै अगर कुछ हुई है 

खबर आमदे यार की क्या मिली है 
मिरे दिल में इक खलबली सी मची है 

बुरे वक्त जो काम आये किसी के 
वही दोस्ती अस्ल में दोस्ती है 

खुशी बस वहीँ है जहाँ अहले ज़र है 
वहाँ है मुसीबत जहाँ मुफ्लिसी है 

मिरे हाल पर की तवज्जो न तुमने
यही बात मुझको गिराँ लग रही है 

तुझे नाज़ है क्या इसी ज़िन्दगी पर 
फ़क़त चार रोज़ा ही जो ज़िन्दगी है 

कोई हादसा पेश आये न उनको 
सलामत रहे वो ये ख्वाहिश मेरी है 

बनें खाक गौहर तेरा दोस्त कोई 
बशर को बशर से यहाँ दुश्मनी है 

गजलकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।