गजल - 21 - रियाज खान गौहर, भिलाई
दो दिलों के दरमियां जब फ़ासला हो जायेगा हर मज़ा जमहूरियत का बद मज़ा हो जायेगा .....
गजल
दो दिलों के दरमियां जब फ़ासला हो जायेगा
क्या ख़बर थी आज उनसे सामना हो जायेगा
फ़ैसला तुम कर नहीं सकते किसी भी चीज का
मैं उसे जाने जिगर अपना समझता ही रहा
प्यार की राहों में मेरा प्यार से तुम साथ दो
हम जो चाहे कुछ नहीं होता खुदा चाहे अगर
दीनो दुनिया को समझ ले जान ले गौहर मियां
गजलकार
रियाज खान गौहर भिलाई
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