गजल  - 21 - रियाज खान गौहर, भिलाई

दो दिलों के दरमियां जब फ़ासला हो जायेगा हर मज़ा जमहूरियत का बद मज़ा हो जायेगा .....

Sep 15, 2024 - 16:07
Sep 15, 2024 - 16:47
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गजल  - 21 - रियाज खान गौहर, भिलाई
गजल  - 21 - रियाज खान गौहर, भिलाई

गजल 

दो दिलों के दरमियां जब फ़ासला हो जायेगा
हर मज़ा जमहूरियत का बद मज़ा हो जायेगा 

क्या ख़बर थी आज उनसे सामना हो जायेगा 
आईने के रूबरू फिर आईना हो जायेगा 

फ़ैसला तुम कर नहीं सकते किसी भी चीज का 
वो जो चाहे एक पल में फैसला हो जायेगा 

मैं उसे जाने जिगर अपना समझता ही रहा 
क्या ख़बर थी दोस्त मेरा बेवफ़ा हो जायेगा 

प्यार की राहों में मेरा प्यार से तुम साथ दो 
ज़िन्दगी का पुर ख़तर तै मरहला हो जायेगा 

हम जो चाहे कुछ नहीं होता खुदा चाहे अगर 
सूखा पत्ता इक इशारे पर हरा हो जायेगा  

दीनो दुनिया को समझ ले जान ले गौहर मियां 
ख़त्म वरना ज़िन्दगी का वलवला हो जायेगा


गजलकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।