Dimna Lake Pollution: मूर्ति विसर्जन के बाद डिमना लेक में गंदगी, क्या ये खूबसूरत स्थल फिर से अपनी खोई हुई शुद्धता पा सकेगा?

डिमना लेक में मूर्ति विसर्जन के बाद का कचरा और प्रदूषण बढ़ रहा है, जो इस प्राकृतिक जलाशय की खूबसूरती को खराब कर रहा है। जानिए, इसके सफाई के प्रयासों और पर्यटन के लिए इससे जुड़े सुधार के बारे में।

Dec 14, 2024 - 19:05
Dec 14, 2024 - 19:09
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जमशेदपुर, 14 दिसंबर 2024: डिमना लेक को जमशेदपुर के लिए एक वरदान माना जाता है। यह जलाशय न केवल टाटा स्टील कारखाने के लिए जल की आपूर्ति करता है, बल्कि पूरे लौह नगरी की जनता की प्यास भी बुझाता है। प्राकृतिक रूप से बारिश का पानी एकत्रित करने वाला यह जलाशय सालभर लोगों के लिए जीवन रेखा बनकर कार्य करता है। लेकिन, मूर्ति विसर्जन के बाद इस खूबसूरत स्थान पर होने वाला प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है।

मूर्ति विसर्जन और प्रदूषण की बढ़ती समस्या

हर साल विजयदशमी के मौके पर मूर्ति विसर्जन के दौरान, डिमना लेक के किनारे पूजा सामग्री, मूर्तियों के अवशेष और अन्य कचरे से भर जाते हैं। यह प्रदूषण न केवल जलाशय के पानी को गंदा करता है, बल्कि इसके कारण मछलियां भी प्रभावित होती हैं। प्लास्टिक की थैलियों को मछलियां खाकर मर जाती हैं, जो जलाशय के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है।

इसके अलावा, मूर्तियों से निकलने वाली हानिकारक रसायन और रंग पानी के साथ मिलकर जल गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं, जो ना केवल पानी के जीवों के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक है। डिमना लेक में खिले कमल के फूल और अन्य प्राकृतिक सुंदरता को इस प्रदूषण से गहरा नुकसान हो रहा है, और यही कारण है कि पर्यटकों के लिए यह स्थल अब कम आकर्षक बनता जा रहा है।

कचरे की सफाई और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

अगर डिमना लेक के किनारे पड़े इन कचरों को समय रहते साफ किया जाए तो यह जलाशय फिर से अपनी खोई हुई खूबसूरती को पा सकता है। कमल के फूलों की सुंदरता वापस आ सकती है और यह पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है। पिकनिक के दिनों में जब सैलानी डिमना आते हैं, तो वे इस प्राकृतिक जलाशय की शांति और सुंदरता को महसूस कर सकते हैं।

इसके लिए, हमें न केवल आस्था के साथ स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि मूर्ति विसर्जन के बाद गंदगी की सफाई की व्यवस्था भी करनी चाहिए। यह सिर्फ एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समूह प्रयास का मुद्दा है, जिसे हम सभी को मिलकर सुलझाना होगा।

आस्था और स्वच्छता का संयोजन

आस्था और स्वच्छता को जोड़ने का समय आ चुका है। धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए अगर हम अपने पर्यावरण का ख्याल रखते हैं, तो हम न सिर्फ जलाशय की खूबसूरती को बहाल कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण का भी संरक्षण कर सकते हैं। हमें यह समझना होगा कि डिमना लेक केवल जलाशय नहीं, बल्कि यह हमारे शहर का एक अहम हिस्सा है। यह जलाशय न केवल प्राकृतिक संसाधन का भंडार है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है।

क्या हो सकती है समाधान की दिशा?

  1. सफाई अभियान: डिमना लेक के किनारे स्वच्छता अभियान चलाकर हम इस जलाशय को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं। विभिन्न संगठनों और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।

  2. पुनः उपयोग योग्य सामग्री: पूजा सामग्री और मूर्तियों के अवशेषों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पुनः उपयोग योग्य सामग्री का प्रयोग बढ़ाना होगा।

  3. प्रदूषण नियंत्रण: प्लास्टिक की थैलियों को जलाशय में डालने से रोकने के लिए कड़े नियम और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

  4. पर्यटन को बढ़ावा देना: अगर इस जलाशय की सफाई की जाती है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बहाल किया जाता है, तो यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है। इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि शहर को आर्थिक लाभ भी होगा।

अंत में, क्या आप सहमत हैं?

क्या आपको लगता है कि हम सब मिलकर डिमना लेक को उसके प्राकृतिक रूप में बहाल कर सकते हैं? क्या आपने कभी इस जलाशय के किनारे सफाई की आवश्यकता महसूस की है? कमेंट में अपनी राय दें और इस अभियान को समर्थन दें।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।