Deoghar Fight: कपड़े का पैसा मांगने पर भड़का भाई, लाठी-डंडे से हमला, चार घायल
देवघर जिले के तेली पंड़ुआ गांव में उधार लिए कपड़े के पैसों को लेकर दो सगे भाइयों के बीच खूनी झड़प हो गई। जानिए कैसे मामूली विवाद बना चार लोगों की अस्पताल पहुंचने की वजह।

झारखंड के देवघर जिले के पथरड्डा थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव तेली पंड़ुआ में बुधवार रात एक उधारी विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। मामूली सा लगने वाला यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब एक दुकानदार कपड़े की उधारी लेने किशोर मंडल के घर पहुंचा, लेकिन पैसा मांगना ही मानो एक अपराध बन गया।
इस छोटी सी बात ने ऐसा तूल पकड़ा कि सगे भाइयों के बीच लाठी-डंडों से खूनी झड़प हो गई और देखते ही देखते चार लोग बुरी तरह घायल हो गए।
कैसे शुरू हुआ यह विवाद?
घायल किशोर मंडल ने बताया कि चैती नवरात्र के दौरान उसने एक स्थानीय दुकानदार से कुछ कपड़े उधार में लिए थे। दुकानदार पैसा लेने बुधवार देर रात उसके घर पहुंचा। यही बात उसके बड़े भाई को नागवार गुज़री और वह गुस्से में आगबबूला हो गया। उसने दुकानदार पर भड़कते हुए कहा – "मेरे घर में कोई उधारी मांगने क्यों आएगा?" इसके बाद विवाद इतना बढ़ गया कि बड़े भाई ने किशोर पर लाठी-डंडे से हमला कर दिया।
हो-हल्ला सुनकर जब परिवार और पड़ोसी बीच-बचाव के लिए आए, तो वे भी झड़प की चपेट में आ गए। इस झगड़े में किशोर मंडल, लखन मंडल, संतोष मंडल और मीना देवी घायल हो गए।
इलाज के लिए भागे अस्पताल
घटना के बाद सभी घायलों को आनन-फानन में देवघर सदर अस्पताल लाया गया। ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने घायलों का प्राथमिक उपचार किया और खतरे से बाहर बताया, जिसके बाद सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
हालांकि सभी को मामूली चोटें आई हैं, लेकिन घटना ने गांव में तनाव का माहौल खड़ा कर दिया है। पुलिस को सूचना दे दी गई है और जांच शुरू हो गई है।
क्या कहता है देवघर का सामाजिक इतिहास?
देवघर में पारिवारिक झगड़े और ज़मीनी या उधारी विवादों को लेकर झड़पें नई नहीं हैं। इससे पहले भी कई बार ऐसे मामूली विवाद खूनी रूप ले चुके हैं, खासकर तब जब विवाद पैसे या सम्मान से जुड़ा हो। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बातचीत की बजाय टकराव को प्राथमिकता देना एक बड़ी सामाजिक चुनौती बनी हुई है।
अब आगे क्या?
पथरड्डा थाना पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय पर पुलिस हस्तक्षेप और पंचायत स्तर पर समाधान न निकाला गया, तो भविष्य में ऐसे और भी गंभीर टकराव हो सकते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
क्या मामूली आर्थिक विवाद पर इस तरह की हिंसा जायज़ है?
क्या पारिवारिक रिश्तों में गिरता संवाद इस तरह की घटनाओं की वजह बन रहा है?
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