India में बढ़ा Cyber Fraud: सरकारी सिस्टम क्यों नजर आ रहा लाचार?
भारत में साइबर क्राइम बढ़ रहा है। साइबर ठगों के सामने सरकारी तंत्र कमजोर क्यों? जानिए 2025 के ताज़ा आंकड़े और साइबर सुरक्षा को लेकर क्या हो सकते हैं नए कदम।
नई दिल्ली, 15 जनवरी 2025: देश में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। डिजिटल इंडिया के सपने के बीच साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम ने हाल ही में कहा कि साइबर ठगों के आगे सरकारी तंत्र पूरी तरह अपंग नजर आ रहा है। सवाल उठता है कि जहां सरकार डिजिटल ट्रांज़ैक्शन पर पूरी निगरानी रखती है, वहां आखिर साइबर फ्रॉड क्यों नहीं रुक पा रहे हैं?
क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?
2024 की पहली तिमाही में साइबर क्राइम से जुड़ी 7.4 लाख शिकायतें दर्ज हुईं। जनवरी से जून तक 11,269 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी थी। मतलब 60 करोड़ रुपये हर दिन ठगे गए! 2023 में 4.5 लाख से अधिक मामले सामने आए, जो 2022 से 25% अधिक थे।
ये आंकड़े सिर्फ दर्ज मामलों के हैं। हकीकत में न जाने कितने ही केस बिना रिपोर्ट किए रह जाते हैं। रैंसमवेयर अटैक, फिशिंग, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड और ईमेल स्कैम जैसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कैसे करते हैं साइबर ठग शिकार?
साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जाल में फंसा रहे हैं:
- डिजिटल अरेस्ट कॉल: फोन पर पुलिस अधिकारी बनकर डराना।
- फर्जी पार्सल स्कैम: नकली डिलीवरी के नाम पर ओटीपी लेना।
- बुजुर्गों को निशाना: दूर रह रहे बच्चों के नाम पर धोखा देना।
कई बार एक कॉल उठाने या लिंक पर क्लिक करने भर से पूरी जमा-पूंजी लुट सकती है।
इतिहास में पहली बार साइबर क्राइम इतना बड़ा खतरा क्यों?
साइबर अपराध का इतिहास नया नहीं है, लेकिन इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग ने इसे खतरनाक बना दिया है।
- 2000 में IT Act आया, लेकिन 2025 तक साइबर ठगी के तरीके कई गुना बढ़ गए।
- डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन बैंकिंग ने इसे और बढ़ावा दिया।
भारत आज रैंसमवेयर अटैक में दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल है।
सरकारी तंत्र क्यों हो रहा फेल?
अतुल मलिकराम के अनुसार, सरकारी सिस्टम साइबर ठगों के आगे लाचार क्यों नजर आता है?
- साइबर फॉरेंसिक टूल्स की कमी
- प्रशिक्षित अधिकारियों की कमी
- पुराने और कमजोर कानून
- जांच प्रक्रिया धीमी
90% शिकायतकर्ता मानते हैं कि शिकायत के बावजूद ठगी का पैसा वापस मिलना मुश्किल होता है।
कैसे रुक सकते हैं साइबर फ्रॉड?
- साइबर कानूनों में सुधार:
- मजबूत और सख्त साइबर कानून लागू करना।
- जनता को जागरूक करना:
- फिशिंग कॉल्स और फर्जी ईमेल्स की पहचान।
- तेजी से शिकायत निवारण:
- 24x7 साइबर हेल्पलाइन और तेजी से जांच प्रक्रिया।
- साइबर सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना:
- उन्नत साइबर फॉरेंसिक टूल्स और प्रशिक्षित विशेषज्ञों की भर्ती।
सरकार की जिम्मेदारी क्या?
डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा होगा, जब देश साइबर सुरक्षा में मजबूत होगा। सरकार को चाहिए:
- हर नागरिक को साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण देना।
- साइबर फ्रॉड के लिए अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाना।
जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत
- कभी भी अनजान कॉल्स पर ओटीपी शेयर न करें।
- फिशिंग ईमेल्स और फेक लिंक्स पर क्लिक न करें।
- अपनी बैंकिंग और पासवर्ड डिटेल्स सुरक्षित रखें।
क्या बदलाव की जरूरत?
साइबर क्राइम का बढ़ता ग्राफ केवल तकनीकी सुरक्षा से नहीं रुक सकता। जब तक कानून कड़े और जांच तेज नहीं होगी, तब तक डिजिटल इंडिया का सपना अधूरा ही रहेगा। सरकार को चाहिए कि वह साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दे और जनता को डिजिटल फ्रॉड से सुरक्षित रखे।
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